परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 80वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब मख़दूम मुहिउद्दीन साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
" उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात "
मुफाइलुन फइलातुन मुफ़ाइलुन फइलुन/फेलुन
1212 1122 1212 1121/221/22/112
1121/221/22/112
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 24 फरवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 25 फरवरी दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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सुना रहा है मुझे फिर वो इन्तज़ार की बात
वो इन्तज़ार मुसल्सल वो वस्ले यार की बात।
कभी किया न अदा तुमने उसको शुक्राना
रखी न याद खुदा से हुए क़रार की बात।
खुशी भरी है मुहब्बत तू ज़ह्र कर लेगा
किया न कर तू मुहब्बत में जीत-हार की बात।
खिजां, खिज़ां है, बहारों सी हो नहीं सकती
जुदा खिजां की तबीयत, जुदा बहार की बात।
हर एक शै में तुझे कुछ कमी नज़र आई
जहां खुदा का कहॉं तेरे अख़्तियार की बात।
ये वो जगह है जहॉं अक्ल की सुनी सब ने
सुनी किसी ने कहॉं दिल पे ऐतबार की बात।
सभी ने देख लिया एक मोजिज़ा जैसे
"उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात"
''मौलिक व अप्रकाशित''
हृदय से आभारी हूँ भुवन निस्तेज जी।
उस्ताद शायर तिलक राज जी, उम्दा अशआर कहने के लिए बधाई कुबूल करें
हृदय से आभारी हूँ मोहन बेगोवाल जी।
हृदय से आभारी हूँ सुरेन्द्र जी।
हृदय से आभारी हूँ सुरिन्दर जी।
हृदय से आभारी हूँ मोहम्मद आरिफ़ जी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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