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आदरणीया राजेश कुमारीजी, आपकी वैचारिक क्षमता तथा कलात्मक सोच का प्रतिफल ही है कि आप लगभग हर विधा में साधिकार प्रस्तुतियाँ साझा करती हैं. आप ओबीओ के उन सार्थक समर्पित सदस्यों में से हैं जो विधा विशेष से लगाव नहीं रखते. बल्कि लेखन को मुख्य मान कर हर विधा के मर्म को समझना चाहते हैं. इस बात की तस्दीक आपकी प्रस्तुत लघुकथा कर रही है. यह भावनाओं को संप्रेषित कर पाती है. वैसे यह भी सही है कि उपयुक्त वातावरण बनाने के क्रम में लघुकथा का विस्तार अधिक हो गया है.
आयोजन का प्रारम्भ आपकी प्रस्तुति से हुआ है, इस हेतु विशेष बधाई.
सादर
आपकी लघु कथा पर उपस्थति एवं सकारात्मक प्रतिक्रिया से मैं अपने लेखन के प्रति आश्वस्त हुई मेरे लेखन का मान बढ़ाने के लिए आपका दिल से बारम्बार आभार आ० सौरभ जी |
आपका दिल से आभार अर्चना जी , आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ
बहुत खूबसूरत कथा आदरणीय दी .....सदार नमःते
बहुत बहुत शुक्रिया प्रिय सावित्री जी .
आ० राजेश कुमारी जी, बेहद प्रभावोत्पादक लघुकथा कही है I आयोजन का प्रारंभ ऐसी लघुकथा से होना एक शुभ संकेत है I एक नन्हे बच्चे की आकांक्षा को बहुत कुशलता से शब्द बख्शे हैं I लघुकथा का मारक अंत इसे और भी प्रभावशाली बना गया, मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित है I
//“सुनो अलका मेरे मन में एक आइडिया आया है इस बार बिट्टू को उसकी दादी के पास बर्थ डे मनाने ले चलते हैं फिर कुछ दिन वो दादी के पास रह लेगा इस बीच यहाँ आकर तुम्हारी प्लास्टिक सर्जरी करवा देते हैं पैसे भी लगभग पूरे हो चुके हैं तुम्हारा डॉक्टर बता रहा था कि बाहर से डाक्टरों की टीम आई हुई है तो ठीक रहेगा बिट्टू को सरप्राइज भी मिल जाएगा अपनी खूबसूरत माँ को देख कर फूला नहीं समाएगा”//
इस पैरे को दोबारा देखें, कालखंड दोष का सा आभास हो रहा है I
हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश जी!बेहद मार्मिक प्रस्तुति के साथ गोष्ठी का श्री गणेश किया है आपने!अबोध बाल मन मॉ के रूप को सिर्फ़ मॉ के रूप में ही जानता है!सुंदरता से उसे कोई लगॉव नहीं होता!बेहतरीन लघुकथा!
आपको प्रस्तुति पसंद आई दिल से आभार आपको आ० उस्मानी जी .
आपको लघु कथा अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हो गया आदरणीय योगराज जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया | रही दूसरी बात तो ये तो उस वक़्त का आपसी डिस्कशन हो रहा है आदरणीय उस पर अमल तो नहीं किया प्लानिंग ही तो चल रही थी किन्तु एक्शन तो उन्होंने बच्चे की बात के वक़्त ही लिया है अर्थात घटना क्रम तो ब्रेक नहीं हुआ तो मैं नहीं समझती की काल खंड आया है सादर
मेरी माँ दुनिया की सबसे खूबसूरत माँ है यदि आपने मेरी माँ का चेहरा बदला तो मैं रूठ कर दूर चला जाऊँगा” इन पंक्तियों में कहानी का सार और आदर्श है, जिस कारण यह सफल लघु कथा बनी | बहुत बहुत बधाई आदरणीया
आपका दिल से आभार आ० लक्ष्मण जी , आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ.
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