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भोजपुरीहमनी के भोजपुरी भाषा के संबंध में एतने जानी ले जा कि एकरा अंदर एतना क्षमता बा कि उ कवनो विषय या विधा पर आपन विचार व्यक्त करें में तनिकांे क… Started by indravidyavachaspatitiwari |
0 | Oct 30, 2017 |
सदस्य टीम प्रबंधन भोजपुरी नवगीत : फेर भइल बा चाक्का जाम // -सौरभफेर भइल बा चाक्का-जाम दलित-गरीबन के उकसावत ! बचवन के मन में छटपट्टी कोरा आँखिन में अचकच बा बूढ़ आँखि के सोझा सबकुछबिला रहल, झुठहीं मचमच बा… Started by Saurabh Pandey |
0 | Jul 19, 2017 |
भोजपुरी गजल -उठि के नारी सक्ति सकार कइलsफाइलातुन फाइलुन फऊल फेलुन कहँवा से आइके जगार कइल जिनगी में साँइ से उजार कइल जिनगी से अइसन करार कइल सिनुरा वीरांगना पुछार कइल पँउआ बढ़त… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
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Oct 25, 2016 Reply by Saurabh Pandey |
भोजपुरी लधुकथा -नउटंकी।"कइसन कइसन नउटंकी करेलीसन" असपताल मां दरद के मारे कँहरत आ छटपटात उछलत मेहरारू के देखि बोली बोलली भउजी। "जवना के नउटंकी कहतारू नू ईहो भागिय… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
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Oct 12, 2016 Reply by PRAMOD SRIVASTAVA |
अकिल अझुराइलआम असो आइल बा खूब बउराइल बा काँच बने चटनी त सतुआ घोराइल बा मावस ना बारी मा बिजुरी बराइल बा हाथ, हाथी, सायकिल सभे अगराइल बा जाति… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
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Oct 4, 2016 Reply by PRAMOD SRIVASTAVA |
करकट नर-कटआप कहीं माई कहीं बापू सँगे लुगाई धोती हटि पतलून त खदरा कमरि, रजाई खदरा कमरि, रजाई बदल संस्कृति परिपाटी जाति पाति भेदे नही प… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
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Sep 23, 2016 Reply by PRAMOD SRIVASTAVA |
लगाव गाँछिआव अपना दुअरा लगाव गाँछि नीम क सुधरि जाई हावा पानी घरवा जमीन क पितरन के दिनवा भुलाई ना जुगाड़ से हरियाली देत उनकर नाम दिन चीन्ह क लरिक… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
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Sep 23, 2016 Reply by PRAMOD SRIVASTAVA |
गीत भोजपुरीराजा जी की बगिया में, सुगवा सुगीनिया में-2 लागल बावे प्रेमवा के डोर, ए सुगी मार ना हनि हनि ठोर-2 फुलवा लोरहन गइलीं जनक-दुलारी। ओही बगिया प… Started by रामबली गुप्ता |
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Sep 20, 2016 Reply by PRAMOD SRIVASTAVA |
सदस्य टीम प्रबंधन भोजपुरी ग़ज़ल१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ फलनवा बन गइल मुखिया रङाइल गोड़ माथा ले [फलनवा - कोई ; रङाइल - रंगा हुआ ; गोड़ - पैर बनल खेला बिगाड़े के.. चिलनवा ठाढ़… Started by Saurabh Pandey |
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Sep 20, 2016 Reply by PRAMOD SRIVASTAVA |
प्रीत क पहुनवाचिहुँकि उठिह भोर भइला के पहिले जब देखिह सपनवा मिलनवा के धीरज जनि छोड़िह कदम जनि मोड़िह परेम पग रहिया खनकि उठिह जस गीत काढ़े कलाई… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
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Sep 10, 2016 Reply by PRAMOD SRIVASTAVA |
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