आदरणीय काव्य-रसिको !
सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ बत्तीसवाँ आयोजन है.
इस बार का छंद है - सार छंद/ छन्नपकइया
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
23 अप्रेल 2022 दिन शनिवार से
24 अप्रेल 2022 दिन रविवार तक
हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
चित्र अंर्तजाल के माध्यम से
सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...
जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
23अप्रेल 2022 दिन शनिवार से 24 अप्रेल 2022 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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Replies are closed for this discussion.
आदरणीय अखिलेश जी
चित्र के भावों को समेटते हुए बहुत सुन्दर छन्न पकैया रचे है आपने। हार्दिक बधाई। अंतिम पंक्ति में बाल्टी की जगह लोटा भी कर सकते हैं बेहतर प्रवाह के लिये
आदरणीया प्रतिभाजी
प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार |
जग मग दो पात्र लिखा ही चुका था जो पानी की मात्रा की दृष्टि से लोटे के बराबर है इसलिए बाल्टी उचित प्रतीत हुआ| छत्तीसगढ़ में गंजी का चलन ज्यादा है यह भी एक बर्तन है जो ३ से २५ लीटर तक की क्षमता वाली होती है| लेकिन अन्य हिंदी भाषी प्रान्तों का ध्यान रखते हुए गंजी की जगह बाल्टी रखा|
आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुरूप सुन्दर छन्द हुए हैं । हार्दिक बधाई।
आदरणीय लक्ष्मण भाई
प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार |
छन्न पकैया छन्न पकैया, मौसम की है माया|
वैशाख जेठ की गर्मी में, झुलस रही है काया || ... चैत-जेठ की गर्मी मेंं अब.. आगे, आपके निवेदन के अनुसार चौथा चरण ’झुलस रही है काया’ कर दिया गया.
छन्न पकैया छन्न पकैया, निर्धन की लाचारी|
घर बाहर दिन भर खटती है, गरीब घर की नारी|| .. गरीब जैसे जगणात्मक शब्द का सार्थक निर्वहन नहीं हो पाया है.
छन्न पकैया छन्न पकैया, सूर्य आग बरसाया|
भाग्य में नहीं लस्सी शरबत, पानी प्यास बुझाया||.. पुनः, तृतीय चरण में त्रिकल के बाद त्रिकल के मूलभूत नियम का निर्वहन नहीं हो पाया है. दूसरे, बरसाया और बुझाया की तुकान्तता को बरसाता, बुझाता कर दिया जाता.
छन्न पकैया छन्न पकैया, श्रम का फल खुशहाली|
खेत खलिहान घर में दिनभर, जूझ रही घरवाली|| ... खेतों खलिहानों ंमें दिनभर ..
छन्न पकैया छन्न पकैया, छाई है हरियाली|
पशुओं से बचाने के लिये, आठ पहर रखवाली|| ... पशुओं से बचाने के लिये .. ये क्याऽऽऽऽ है ?
छन्न पकैया छन्न पकैया, बड़ी चीज है मटकी|
गगरी जग मग डोंगा बाल्टी, और फ्रीज है मटकी|| .. बाल्टी को बल्टी कर लें. बाल्टी के लिए यह देसज शब्द पद्यों में मान्य हो जाएगा.
आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपके पद्य-प्रयास के लिए बधाइयाँ. आयोजन के लिए रचनाएं तीन-चार दिन पूर्व समाप्त कर इसे दुहरा-तिहरा लें. ऐसी कई अशुद्धियों का स्वतः निराकरण हो जाएगा.
शुभातिशुभ
जेठ चैत्र में घुस आया है।
रवि करता मनमानी।।
गर्मी ने लगता इस बारी, झुलसाने की ठानी।।
थकी हुई है दुबली काया।
कण्ठ सूख कर हारा।।
प्यास बुझायेगी पर कैसे।
बूँद बूँद जल धारा।।
देख तली भर पानी मटकी, हुई शर्म से पानी।।
काम फसल का पड़ा हुआ है।
उस पर गर्मी भारी।।
पर हिम्मत से डटी हुई है।
दुबली पतली नारी।।
पेट जगत का भरने वाले,श्रम की यही कहानी।।
ऐसे ही हर दिन उछलेगा।
गर्मी का ये पारा।।
पेड़ कटाई और प्रदूषण।
ने धरती को मारा।।
अभी जाग जाओ कहते हैं, ज्ञानी और विज्ञानी।।
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मौलिक व अप्रकाशित
सार छंद (गीत) रचना के पहले छपने से छूट गया
मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब, प्रदत्त चित्र को सार्थक करता बहतरीन सार छंद आधारित गीत लिखा आपने,पढ़ कर आनंद आ गया, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय समर कबीर जी
सादर अभिवादन
रचना पर आपकी उपस्तिथि सराहना और मार्गदर्शन हमेशा उत्साहित करते हैं। हार्दिक आभार आपका
आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।
इस सृजन की सराहना के लिये हार्दिक आभार आदरणीय
ज्ञानी औ विज्ञानी.......आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी प्रदत्त चित्र पर उसके भावों को पूरी तरह समेटे एक सुन्दर और अनुपम गीत रचना हुई है आपकी. हृदय से बधाई स्वीकारें. सादर
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