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पास आ कातिल मेरे मुझमें जान आने दे,
जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे।
तूँ तसव्वुर में मेरे रहा है बरसों से,
खुद को नजरों से सीने में उतर जाने दे।
कुछ ठहर जा कि छुपा लूँ मैं दर्द सीने का,
या तेरे सीने से लिपट कर बिफर जाने दे।
तुझको पाना नहीं है मेरी मंजिल,
तूँ जरा खुद में मुझको समां जाने…
ContinuePosted on August 18, 2011 at 1:30pm — 2 Comments
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Comment Wall (7 comments)
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कुछ ठहर जा कि छुपा लूँ मैं दर्द सीने का,
या तेरे सीने से लिपट कर बिफर जाने दे।
प्रिय त्रिपाठी जी .. जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे ,,बहुत खूब ..प्रेम के कितने रंग ...जय श्री राधे
मित्र बनाने के लिए धन्यवाद ज्ञानेंद्र जी .
aadarniya tripathi ji, sadar abhivadan ke sath apka hardik swagat hai.
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…