प्रस्तुत कविताएँ ' पारसनाथ ' द्वारा रचित हैं . इन कविताओं कोमेरे दादाजी अक्सर सुनाया करते हैं. आपको भी पसंद आयेंगी .1.प्रस्तुत कविता में एक किसान ईश्वर को अपनी व्यस्तताबताते हुए अर्ज करता है कि आप ही…Continue
Started this discussion. Last reply by आशीष यादव Jul 18, 2010.
सादर नमस्कार।प्रस्तुत है हमारी एक कविता जो मैंने आज से 14 साल पहले लिखी थी।मैं हिन्दू हूँ, जी हाँ एक हिन्दू,कुछ गलत रुढ़ियों एवं प्रथाओं का एक बिन्दू,हाँ मैं एक हिन्दू.ना-ना-ना,हिन्दू तक तो ठीक था,पर…Continue
Started this discussion. Last reply by Manoj Kumar Jha Aug 2, 2010.
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विराम-चिह्न की आत्मकहानी, सुनें उसी की जुबानी ।
मैं विराम-चिह्न हूँ। कुछ विद्वान मुझे विराम चिन्ह या विराम भी बोलते हैं लेकिन मुझे कोई आपत्ति नहीं है। हाँ, एक बात मैं… |
Posted on November 24, 2011 at 3:30pm — 3 Comments
Posted on July 20, 2010 at 11:08am — 3 Comments
Posted on July 12, 2010 at 2:18pm — 4 Comments
Posted on July 10, 2010 at 5:26pm — 2 Comments
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मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
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