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ब्राहम्ण
उषा अवस्थी
मान दिया होता यदि तुमने
ब्राम्हण को , सुविचारों को
सदगुण की तलवार काटती
निर्लज्जी व्यभिचारों को
उसको काया मत समझो ,
ज्ञान विज्ञान समन्वय है
द्वैत भाव से मुक्त, जितेन्द्रिय
सत्यप्रतिज्ञ , समुच्चय है
कर्म , वचन , मन से पावन
वह ब्रम्हपथी , समदर्शी है
नहीं जन्म से , सतत कर्म से
तेजस्वी , ब्रम्हर्षि है
मौलिक एवं अप्रकाशित
धूम कोहरा
उषा अवस्थी
धूम युक्त कोहरा सघन
मचा हुआ कोहराम
किस आयुध औ कवच से
जीतें यह संग्राम?
एक नहीं, अनगिन बने
कारण, होती वृद्धि
रोके से रुकता नहीं
क्रम,कैसे हो शुद्धि?
ढेरों टन कोयला दहन
कर विद्युत संयंत्र
धूम्र उगलते; जो जाकर
मिले बूंद के संग
वही हवा फिर साँस से
पहुँचे मानव अंग
स्वास्थ्य बिगाड़े,कष्ट दे
करे मनुज का…
ContinuePosted on January 31, 2024 at 8:14am — 1 Comment
आवाज़ों से जंग
उषा अवस्थी
आज प्रदूषण बढ़ रहा
बदल-बदल कर रूप
बेचें झाड़ू , वाइपर
चला रिकाॅर्डिंग खूब
चाकू, कैंची औ छुरी
पैनी करते नित्य
मस्तक में छुरियाँ चलें
सुनें रिकॉर्डिंग तिक्त
चादर, कम्बल या बिकें
बने-बनाए वस्त्र
सतत रिकॉर्डिंग चल रही
कर वाणी निर्वस्त्र
असहनीय ध्वनियाँ,मचा
कानों में हुड़दंग
कैसे जीतेगा मनुज
आवाज़ो से…
ContinuePosted on December 18, 2023 at 11:55am
पूजा बता रहे हैं
उषा अवस्थी
पाले हैं,यौन कुंठा
पूजा बता रहे हैं
न जाने ऐसे लोग
किस राह जा रहे हैं?
रचते हैं ढोंग ज्ञान का
कल्मष बढ़ा रहे हैं
लिखते अभद्र भाषा
निर्मल बता रहे हैं
अपने ही मन की ग्रन्थि
सुलझा न पा रहे हैं
बच्चों औ युवजनों को
क्या -क्या सिखा रहे हैं?
मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on October 11, 2023 at 3:30am — 2 Comments
कुछ विचार
उषा अवस्थी
राष्ट्र, समाज, स्वयं का
यदि चाहें कल्याण
चोरी, झूठ, फरेब से
है पाना परित्राण
अशुभ निवारक गुरु चरण
वन्दन कर, छल त्याग
जिनके दर्शन मात्र से
पाप, शोक हों नाश
यह दुनिया हर निमिष पल
गिरे काल के गाल
क्यों पाना इसको भला?
जहाँ बचे न भाल
इस अनन्त ब्रम्हाण्ड में
पृथ्वी का क्या मोल?
पल-पल, घिस-घिस छीजती
तोल सके तो…
ContinuePosted on October 8, 2023 at 6:52pm — 3 Comments
सुन्दर रचना केलिये हार्दिक अभिनंदन सुश्री उषा अवस्थिजी ।
ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए.... |
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