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खोलो मन की सांकल को ,
जरा हवा तो आने दो ,,
निकलो घर से बाहर तुम ,
शोख घटा को छाने दो ,,…
Posted on April 5, 2012 at 2:11pm — 24 Comments
जीवन मुझसे हरदम जीता ,
मै सदा सदा इससे हारा ,,
आकुल मन पिंजर बंद हुआ ,
कातर घायल यह बेचारा ,,
अति गहन तिमिर में व्याकुलमन,
विस्मृति से मुझे उबारे कौन,,
यह बुद्धि मनीषा किससे पूछे,
निर्जर भी सब हो गए मौन ,,
कुसुमित होता था कुसुम जहां ,
वह बगिया भी अब सूख गई ,,
निर्झरिणी बहती थी जहां सदा,
वह अमिय जाह्नवी सूख गई ,,
हा करुणा करुण विलाप करे ,
पर नेत्र नही हैं पनियाले ,,
तट बंध भ्रमित हो यह प्रश्न करे…
ContinuePosted on March 26, 2012 at 10:00pm — 7 Comments
दूर क्षितिज प्राची की लाली ,
अरे बावरी ओ मतवारी ,
उस पल को तूँ विस्मृत कर दे ,
जीवन मे विष को जो भर दे ,
इंद्रव्रज्या नही बन दधीचि तूँ ,
परम दंभ का ना बन प्रतीक तूँ ,
कण्ठ गरल मुख पर मुस्कान…
ContinuePosted on March 16, 2012 at 10:00am — 8 Comments
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Comment Wall (8 comments)
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aapka profile top vala sundar kaese kar liya badhai.
vande maatram.
स्नेही , श्री अश्विनी जी.
स्वागत है सर !
प्रिय आपके कहे अनुसार यहाँ आ गया, अब आप जानो और आपका काम जाने. मतलब आगे जो आज्ञा हो. वैसे नए वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं. माता जी प्रनाम और बच्चों को प्यार.
अश्विनी कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए आभार!
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आप यदि अपना वास्तविक फोटो प्रोफ़ाइल में दें तो सब पर उपकार हो.
अपना दिल शेरदिल हो साहब, फोटो नहीं, है न !?
सादर
सपरिवार होली मंगलमय हो .