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AMAN SINHA
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AMAN SINHA posted blog posts
Nov 13
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बस बहुत हुआ, अब जाने दो

बस बहुत हुआ, अब जाने दो, साँस जरा तो आने दो,घुटन भरे इस कमरे में, जरा धूप तो छट कर आने दो,बस बहुत हुआ, अब जाने दो।बहुत सुनी कटाक्ष तेरी, बात-बात पर दुत्कार तेरी,शूल के जैसे बोल तेरे, चुन-चुन कर मुझे हटाने दो।खामोशी में है प्यार मेरा, ना मुझ पर कुछ उपकार तेरा,मुझको जो गरजू समझा है, उस भरम को अब मिट जाने दो,बस बहुत हुआ, अब जाने दो।तूने जो बोला मान लिया, देर लगी पर जान लिया,सदा पास रही पर साथ नहीं, अब झूठे बंधन टूट जाने दो।मेरे अपनों को कोसा है, जीभ से दिल को नोंचा है,मेरे जज़्बातों का जो मोल…See More
Aug 8
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बात कुछ और निकली है

बात कुछ और सोची थी, बात कुछ और निकली हैमेरे दिलबर के दिल की कहानी कुछ और निकली हैबड़ी फुर्सत से उस रब ने करी थी कारीगरी लेकिनजो बन के है आई वो जवानी कुछ और निकली हैसुनाई थी जो तुमने ही कहानी, फिर से दोहरा दोमेरे वीरान गुलिस्तां में डाली फूलों की लहरा दोतेरे आने से जो खुशबू हवा में घुल सी जाती थीतू है अब भी वही, लेकिन वो खुशबू कुछ और निकली हैखनक थी चूड़ियों में जो, झनक थी पायलों में जोबिना श्रृंगार के लगती थी सादगी, चांद सी थी जोमगर अब दाग जो है लगा उस कोरे से दामन परचुनर धानी सी थी जो तेरी अभी…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता (बिन)"
Jun 2

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
Jun 2
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यह धर्म युद्ध है

रण भूमी में अस्त्र को त्यागे अर्जुन निःस्तब्ध सा खडा हुआ बेसुध सा निःसहाय सा केशव के चरणों मे पडा हुआ कहता था ना लड पायेगा, वार एक ना कर पायेगा शत्रु का है भेष भले पर वो अपना है जो अडा हुआ कैसे मैं उनपर प्रहार करूँ, जिनका मैं इतना सम्मान करूँ वे अनुज है मेरे, अग्रज भी हैं, उनपर कैसे मैं आघात करूँ वहाँ प्राण प्रिये पितामह हैं और क्रूर सही पर मामा हैहै पथ से भटके भ्रात मेरे भले आततायी का जामा है है मात प्रिये वो चाची घर पर कैसे उनका आँचल सूना कर दूँ हाँ प्रण लिया पर कैसे मैं रक्त रंजित वो झोली कर…See More
Mar 23
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Mar 19
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हर बार नई बात निकल आती है

बात यहीं खत्म होती तो और बात थी यहाँ तो हर बात में नई बात निकल आती है यूँ लगता है जैसे कि ये कोई बरगद का पेड़ है जहां से भी खोदो एक नई साख निकल आती है उलझने ऐसी है कि कोई छोड़ मिलती ही नहीं एक को खींचो तो संग मे दो चार चली आती है खुला है माँझा पड़े है बिखरे कई तार यहाँ खुले छत पर जैसे कोई पडी जाल नजर आती है कही थी जो बात तुमने जो बर्फी में लपेटे हमको परत जो उतरी नीम कि बौछार नजर आती है बड़ा सोचकर पड़ता है नज़र करना लफ्जों को ज़ुबां से फिसलकर जो निकली तो गुनहगार नज़र आती है जिसे होता है ग़ुमा अपने…See More
Feb 26

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on AMAN SINHA's blog post आँख मिचौली
"रचना की विषयवस्तु बहुत रोचक है एक बहुत सुदर बाल रचना बन सकती है यह बस थोड़ा मात्राओं और तुकांत पर ध्यान दीजिये सुन्दर प्रयास है .. बहुत बधाई प्रिय अमन भाई "
Jan 16
AMAN SINHA posted a blog post

आँख मिचौली

आ जा खेले आँख मिचौली, तू मेरा मैं तेरी हमजोली बंद करूँ मैं आँखों को तू जाकर कहीं छूप जाए पर देख मुझे तू सतना ना दूर कहीं छिप जाना ना ऐसा न हो तू पुकारे मुझे, मैं दूर कहीं खो जाऊं मैं आऊँ मैं आऊँ मैं आऊँकहाँ है तू पर्दे के पीछे, या जा छुपा पलंग के नीचे कैसे मैं तुझे ढूंढ निकालूँ जाने कहाँ छुप के बैठा है गर तू बाहर ना आया सूरत ना अपनी दिखलाया मैं तुझे मिल पाने में फिर विफल कहीं ना हो जाऊँ मैं आऊँ मैं आऊँ मैं आऊँघर का कोना कोना देखा बाग देखा बगीचा देखा किधर तू छुप के जा बैठा है थक जाऊँ तुझे खोज ना…See More
Jan 7
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किसे बताएं

किसे बताए फिक्र किसे है, मेरे रहने की मर जाने की किसे पड़ी यहाँ पर मेरी लिखी बात दोहराने की मेरे खातिर यहाँ भले क्यूँ अपने आँसू बर्बाद करे किसको इतनी मोहब्बत मुझसे जो समय अपना बेकार करे सब अपने है बस अपने हैं, अपने बनकर रह जाएंगे मगर कभी आफनो के खातिर अपने ना हो पाएंगे किससे किसको चाहत इतनी, जो खड़ा रहे बाज़ार में भरी दोपहरी बिन छाया के अपनाने के इंतजार में आज जो मुझको कहने ना दे, गीत मुझे जो गाने न देचाहे मेरे लिखने का हक़ साथ हो मगर लिखने ना दे  मैं ना बोला बात मेरी, तो दीवारें बतियाएंगे मेरे…See More
Dec 31, 2023
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सुख या संतोष

दोनों में से क्या तुम्हें चाहिए सुख या के संतोष क्षणभंगुर सा हर्ष चाहिए, या जीवन भर का रोष खुशी का जीवन लम्हो सा है, अब आए अब जाए छोटी सी उदासी मन की पहाड़ हर्ष का ढाए खुशी स्वभाव से चंचल पानी, कल कल बहता जाए कभी यहाँ है कभी वहाँ है स्थिर ना होने पाए खूशी है फूटे गागर जैसा कभी पूरा ना पड़ने पाए जिस गति से पहुंचे हम तक, दो गुनी चाल से जाए जितना पास जगाए हममे अपने आने की राह जाते समय अफसोस सहारे अलविदा हमें कह जाए पर संतोष है पूजी के जैसी हर दिन बढ़ता जाए चाहे समय हो ऊंचा नीचा हर समय काम ये आए संतोष…See More
Nov 9, 2023
Dr. Vijai Shanker commented on AMAN SINHA's blog post किसे अपना कहेंं हम यहाँ
"आदरणीय अमन सिन्हा जी , बहुत ही सार गर्भित , व्यंगात्मक और ज्ञानवर्धक प्रस्तुति के लिए ह्रदय से बधाई, सादर ,"
Nov 8, 2023
Sushil Sarna commented on AMAN SINHA's blog post किसे अपना कहेंं हम यहाँ
"वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति सर"
Nov 5, 2023
AMAN SINHA posted a blog post

किसे अपना कहेंं हम यहाँ

किसे अपना कहें हम यहाँ खंजर उसी ने मारी जिसको गले लगाया किससे कहें हाल-ए-दिल यहाँ हर राज उसी ने खोला जिसे हमराज़ बनाया किसे जख्म दिखाये दिल का हार घाव उसी ने कुरेदा जिसको भी मरहम लगाया किसे साथी समझे अपना यहाँ मेरी जमीन उसी ने खींची जिसको कंधे पर बैठाया किसी चुने हमसफर अपना गड्ढा उसी ने खोदा जिसको रास्ता दिखलाया किसे बनाए मीत यहाँ मौके पर पीठ दिखाया जिसपर सबकुछ लुटायाकिससे करें उम्मीद यहाँ निवाला उसी ने छिना जिसको भूखा ना सुलाया कौन रहेगा साथ यहाँहर डोर उसी ने तोरी जिसको माला पहनाया किससे मांगे…See More
Oct 27, 2023
AMAN SINHA posted a blog post

सुनो, एक बात कहानी है

सुनो,एक बात कहानी हैगर गलत न समझो तोतो कह कर हल्का हो लूँहाँ अगर तुम्हें भली ना लगेतो कुछ ना कहना और चली जाना तुमपर एक इल्तजा है सुन लो “ना” ना कहनादिल कहीं भारी ना हो जाएबड़ी हिम्मत सेहिम्मत मैंने जुटाई हैतुमसे बात कर पानी की जुगत मैंने लगाई हैपर कहीं इंकार तेरा हो जाएतो फिर कहीं बिन कहे ना रह जाऊँपता हैं मुझको की मैं तेरा प्यार नहींतेरी नज़रों में तो मैं हूँ तेरा प्यार नहींलेकिन क्या करूँ मैं अपने दुश्मन दिल काबिना तेरे कहीं इसको मिलता करार नहींमेरा दिल हीं मेरा दुश्मन ब बैठा हैसमझाया लाख मगर…See More
Oct 8, 2023

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तुझे पाना ही बस मेरी चाह नहीं

तुझे पाना ही बस मेरी चाह नहीं,

बदन मिल जाना ही इश्क़ की राह नहीं।

जिस्म का क्या है, मिट्टी में मिल जाएगा,

हाँ, मगर रूह को कोई परवाह नहीं।

लबों ने लबों को तो बाद में छुआ,

पहले तू रूह से हमारा हुआ।…

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Posted on November 10, 2024 at 7:59am

एक ही सत्य है, "मैं"

एक ही सत्य है, "मैं"

एक ही सत्य है, "मैं"

श्वेत हूँ मैं ,

और श्याम भी मैंं ।

मैं ही क्रोध हूँ,

और काम भी मैं।

उस ईश्वर का

मैं रूप नहीं,

स्वयं ईश्वर हूँ,

मैं दूत नहीं।

एक ही सत्य है, "मैं"

कर्म भी मैं हूँ,

और फल भी मैं,

धर्म भी मैं,

और अधर्म भी मैं।

कर्ता भी मैं,

और कांड भी मैं,

विपत्ति भी मैं,

और समाधान भी मैं।

तुम जितना

मुझमें समाओगे,

उतना ही

मुझको…

Continue

Posted on November 2, 2024 at 5:56am

बस बहुत हुआ, अब जाने दो

बस बहुत हुआ, अब जाने दो, साँस जरा तो आने दो,

घुटन भरे इस कमरे में, जरा धूप तो छट कर आने दो,

बस बहुत हुआ, अब जाने दो।

बहुत सुनी कटाक्ष तेरी, बात-बात पर दुत्कार तेरी,

शूल के जैसे बोल तेरे, चुन-चुन कर मुझे हटाने दो।

खामोशी में है…

Continue

Posted on August 4, 2024 at 4:10pm

बात कुछ और निकली है

बात कुछ और सोची थी, बात कुछ और निकली है

मेरे दिलबर के दिल की कहानी कुछ और निकली है

बड़ी फुर्सत से उस रब ने करी थी कारीगरी लेकिन

जो बन के है आई वो जवानी कुछ और निकली है

सुनाई थी जो तुमने ही कहानी, फिर से दोहरा दो

मेरे वीरान गुलिस्तां में डाली फूलों की लहरा दो

तेरे आने से जो खुशबू हवा में घुल सी जाती थी

तू है अब भी वही, लेकिन वो खुशबू कुछ और निकली है

खनक थी चूड़ियों में जो, झनक थी पायलों में जो

बिना…

Continue

Posted on July 23, 2024 at 8:03pm

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