Posted on July 19, 2019 at 6:09pm — 3 Comments
पिला दे घूंट दो मुझको, ज़रा नजरों से ऐ साकी।।
 मिलुंगा मैं तुझे हर मोड़ पे पहचान ले साकी।।१।।
अभी तो दिन भी बाकी है ये सूरज ही नहीं डूबा।
 इसे दिलबर के आंचल में जरा छुप जान दे साकी।।२।।
जिसे पूजा किये हरदम जिसे समझा खुदा मैंने।
 किया बर्बाद मुझको तो उसी इन्सान ने साकी।।३।।
मेरा महबूब भी तू है मेरा हमराज भी तू है।
 वे दुश्मन थे मेरे पक्के जो मेरे साथ थे साकी।।४।।
नहीं इससे बड़ी कोई भी अब अपनी तमन्ना है।
 गमों का नाम हो जाये हमारे नाम से…
Posted on January 6, 2019 at 10:30pm — 10 Comments
आदरणीय Amit Kumar साहब, तरही मुशायरे में मेरी ग़ज़ल में शिरकत का दिल से शुक्रिया. समयाभाव था, कमेंट बॉक्स बंद हो चुका है. इसलिए यहाँ से आभार प्रकट कर रहूँ हूँ.सादर
थैंक्स अमित जी, उस दिन आपसे मिलकर काफी अच्छा लगा
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