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DR ARUN KUMAR SHASTRI
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Latest Activity

DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"प्रिय शेख साहिब - आदाब - आपका आभारी हूँ , आपकी समीक्षा आपके विवेक व ज्ञान अनुसार, न्यायोचित - मैं उसका सम्मान करता हूँ सादर नमन , तथोक्त हेतु कोई  आपत्ति नहीं । मुझ में  जैसी लेखन व सृजनात्मकता , क्षमता है वही लिख पाया हूँ , सादर । हाँ…"
33 minutes ago
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"दीखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर - वाली लोकोक्ति शायद ऐसे ही संदभों हेतु कही गई होगी - कुछ रचनाएँ विस्तार से नहीं उसके मौलिक भाव से चिह्नित होती व सराही जाती हैं सादर - डॉ अरुण कुमार शास्त्री "
8 hours ago
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"* रानी बड़ी सयानी * मुँगस पुर , बिहार के मध्य वर्गीय परिवार की इकलौती मेधावी संतान कक्षा 12 वीं की छात्रा । सब कुछ ठीक ठाक था उसके जीवन में ।  अभी उसने फाइनल वर्ष की परीक्षा दी ही थी । रिजल्ट आने ही वाला था । एक दिन वो माँ के साथ रसोई में…"
9 hours ago
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-151
"पहला प्यार अतुकांत कविता पहला प्यार जैसे बारिश की पहली फ़ुआर । कानों में झींगुर सी झंझानाती सखी की किलकार । तन को भिगोना मन का सुलगना धीमी धीमी अग्नि से जैसे रोटियों का सिकना टिप - टिप बूंदों की करती हो जैसे…"
May 14
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-150
""नयी फसल" फसल मेहनत से उगाई जाए यारो खाद पानी धूप देकर पकाई जाए यारो बहुत से हैं जमीं पर खरपतवार नाकारा वक़्ते वक़्तन उनपे आरी चलाई जाए यारो। आपदायें जगत में अचानक से धमक जाती हैं लगी उम्मीद की जो लगन मिटाती हैं मेहनती हांथों पे पड़े हुए…"
Apr 15
DR ARUN KUMAR SHASTRI posted a blog post

कुछ कर न सका

वो मुझसे दूर होती गई और मैं देख्ता रहा चुपचाप कुछ कर न सका दुख की सीमा मत पूंछो कितना कम्मपित था हृदय अरे मन भीषण सन्ताप से पीडित था कुछ कर न सका कुछ कर न सका हे नाथ वो मुझसे दूर होती गई और मैं देख्ता रहा चुपचाप मानव हृदय भी कैसा है कुछ सोच रहा कुछ होता है मानव हृदय भी कैसा है कुछ सोच रहा कुछ होता है बस में इसके कुछ भी तो नहीं बस पडा पडा ये रोता है वो दूर गई जाती ही रही कुछ कर न सका कुछ कर न सका हे नाथ शंकित मन से जब भी तुम कोई कार्य करोगे ढीले मन से तुम आधे अधूरे से होकर…See More
Apr 12
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"* जिद्द *मेरी उम्र के अनुसार मेरे अनुभव जो मैंने अपनी वयानुसार देखे समझे व् व्यतीत किये अधिकाधिक १० के करीब होंगे जैसे सभी मानव प्रजातियों के होते हैं , वस्तुतः कमोवेश किसी के कुछ कम व् किसी के कुछ अधिक लेकिन ये बात तय है कि ये अनुभव जो कि हम सब ने…"
Mar 31
DR ARUN KUMAR SHASTRI commented on Sushil Sarna's blog post फिर किसी के वास्ते .......
" Sushil Sarna  साहिब किस कदर नजाकत से आपने अपनी रचना को पेश किया है साहिब आपकी लेखनी को सलाम **क्यूँ दिलाएं हम यकीं दिल को किसी  के वास्ते ।हो गया दिल आज गमगीं फिर किसी के वास्ते ।**गज़ब के अल्फ़ाज है सहिब "
May 23, 2022
DR ARUN KUMAR SHASTRI commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
" Aazi Tamaam सहिब कमाल की गजल पेश करी वाह वाह आपका इकबाल बुलन्द रहे जनाब मुझे बेहद पसंद आई "
May 23, 2022
DR ARUN KUMAR SHASTRI commented on शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"'s blog post लावणी छन्द,संपूर्ण वर्णमाला पर प्रेम सगाई
"युं तो आपके नाम के साथ् आपके साथी का नाम जुड़ा होने से सामाजिक रुप से आप सम्पूर्ण ही जान पड्ती है कोई कमी भी नही फिर भी न जाने मेरा भ्रम ही हो आपकी रचना में आप अपने स्वभाव को छुपा नही पाई , कुछ न कुछ किसी कोने में कुछ दवा हुआ सा लगा मुझे -इन्सान जो…"
Nov 9, 2021
DR ARUN KUMAR SHASTRI commented on शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"'s blog post लावणी छन्द,संपूर्ण वर्णमाला पर प्रेम सगाई
"शृंगार रस का अनुभूत प्रयोग हुआ है इस रचना के म|ध्यम से शुचिता जी , एक लय है इस रचना में साथ् ही पढ़ते पढ़ते गुनगुनाने का मन करता है हाँ एक बात और एक छवि उभरती है अपने प्रियतम की जो इस रचना की सबसे खूब्सूरत पह्लू है शुचिता जी , बधाई  स्वीकार…"
Nov 9, 2021
DR ARUN KUMAR SHASTRI commented on vijay nikore's blog post आश्वासन
"सुन्दर अति सुन्दर रोमान्स से भरी , एक एक शब्द सुन्दर रुप से आपने रचा है एसी रचना कभी कभार ही बनती है , मै इसको 7 /10  न . दूंगा "
Nov 9, 2021
DR ARUN KUMAR SHASTRI commented on vijay nikore's blog post यह भूला-बिसरा पत्र ...तुम्हारे लिए
"भाई विजय जी , आपके लेखन में भावनाओ का उत्तम सामन्जस्य दीख पड़ता है मुझे , प्रेम को आपने करीब से देखा है व अपनत्व को खुल् के जिया है , मुझे आपकी ये रचना बहुत पसन्द आई | "
Nov 9, 2021
Rachna Bhatia and DR ARUN KUMAR SHASTRI are now friends
Oct 26, 2021
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-124
"लेखक डॉ अरुण कुमार शास्त्री [ एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-124 में सहभागिता के लिए विधा *हास्य कविता* शीर्षक -** म्हारो वेलेंटाइन डे ** मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार के बोलें से छोरा छोरी प्रेम दिवस की…"
Feb 14, 2021
Samar kabeer commented on DR ARUN KUMAR SHASTRI's blog post प्रतिकर्ष
"जनाब डॉ.अरुण कुमार शास्त्री जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Feb 9, 2021

Profile Information

Gender
Male
City State
DELHI NCR
Native Place
DELHI
Profession
EMINENT CONSULTANT
About me
LOVE THY GOD AND HUMANITY VASUDHAIV KUTUMBKAM

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कुछ कर न सका

वो मुझसे दूर होती गई

और मैं देख्ता रहा चुपचाप

कुछ कर न सका

दुख की सीमा मत पूंछो

कितना कम्मपित था हृदय अरे

मन भीषण सन्ताप से पीडित था

कुछ कर न सका

कुछ कर न सका हे नाथ

वो मुझसे दूर होती गई

और मैं देख्ता रहा चुपचाप

मानव हृदय भी कैसा है

कुछ सोच रहा कुछ होता है

मानव हृदय भी कैसा है

कुछ सोच रहा कुछ होता है

बस में इसके कुछ भी तो नहीं

बस पडा पडा ये रोता है

वो दूर गई जाती ही रही…

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Posted on April 10, 2023 at 1:30am

प्रतिकर्ष

तेरे आकर्षण का पल पल प्रतिकर्ष सताता है

सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //

नदिया के पास जाऊं तो शीतल हो जाऊं

साथ दो अगर तो मैं मुस्कान बन जाऊं //

आकर्षक सा छद्म आव्हान मुझे बुलाता है //

सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //

तुमसे कहने का मैं कोई मौका न छोड़ता

बस एक इशारा मिलता तो ही तो बोलता //

ऊहा पोह के सागर में अब गोता खाता हूँ

सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //

दर्द की बात न करूंगा दर्द अब बेमानी हुआ

चाय…

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Posted on February 2, 2021 at 4:45pm — 2 Comments

एक नज़्म - बे - क़ायदा

वक़्त मिलता है कहाँ

आज के मौसुल में

रक़ीबा दर - ब - दर

डोलने का हुनर मंद है

ये ख़ाक सार

इक अदद पेट ही है

जिसने न जाने कितनी

जिंदगियां लीली है

तुखंम उस पर कभी भरता नहीं

हर वक्त सुरसा सा

मुँह खोल के रखता है

न जाने किस कदर

इसमें ख़ज़ीली हैं।

ईंते ख़ाबां मुलम्मा कौन सा

इस पर चढ़ा होगा

दिखाई भी तो नहीं देता

मगर इक बात मुझको

इसके जानिब ये ज़रुर कहनी है।

अगरचे ये नहीं होता

बा कसम ये दुनिया नहीं होती

ये जो…

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Posted on February 2, 2021 at 4:30pm

नज़्म

बेबाक दिलबरी का आलम न पूँछिये। 

हम से मोहब्बत का बस हुनर सीखिये ।

दिल में लगी हो आग तो सेक लीजिये। 

वरना लगा के दाग यूँ सितम न कीजिये। 

तारीफ़ कीजिये या के…

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Posted on January 25, 2021 at 10:00pm — 2 Comments

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At 2:52pm on February 1, 2021, Samar kabeer said…

जनाब अरुण कुमार जी,ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका धन्यवाद ।

At 12:39pm on September 12, 2020,
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
said…

कृपया अपनी रचना यहाँ पोस्ट करें:

http://www.openbooksonline.com/forum/topics/119-1?xg_source=activity&xg_raw_resources=1

 
 
 

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"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, इशारों इशारों में अपना बहुत खूब संदेश दिया है। बधाई स्वीकार करें। मैं…"
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Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सौरभ जी।आपकी प्रेरक टिप्पणी मेरी रचना-यात्रा में संबल है।"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आदरणीय अरुण जी,लघुकथा को मान बख्शने हेतु आपका हार्दिक आभार।"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आपका दिली आभार आदरणीय उस्मानी जी। कथोपकथन स्पष्टता इंगित करने में समर्थ हैं।"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आपका दिली आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"कृपया वह तात्पर्य और गहरी बात हम पाठकों के साथ विस्तृत टिप्पणी में भी साझा कीजिएगा।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आदाब। शायद मैं पहली बार आपकी प्रविष्टि पढ़ रहा हूँ। बढ़िया प्रेरक रचना। हार्दिक बधाई आदरणीयडॉ. अरुण…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"कथानक की बनावट और कसावट मुग्ध कर रही है।  निस्संदेह, आदरणीय मनन जी ने इस अवसर का रचनात्मक…"
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DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"दीखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर - वाली लोकोक्ति शायद ऐसे ही संदभों हेतु कही गई होगी - कुछ रचनाएँ…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। सुस्वागतम आपका और विषयांतर्गत आपकी अनुपम लघु आकार लघुकथा का। बढ़िया आग़ाज़।.हार्दिक बधाई…"
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