For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pawan Kumar
  • Male
  • India
Share on Facebook MySpace

Pawan Kumar's Friends

  • khursheed khairadi
  • Chhaya Shukla
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
  • savitamishra
  • गिरिराज भंडारी
  • जितेन्द्र पस्टारिया
  • किशन  कुमार "आजाद"
  • Dr Ashutosh Mishra
  • vijay nikore
  • अरुन 'अनन्त'
  • Saurabh Pandey
 

Pawan Kumar's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Uttar Pradesh
Native Place
Gorakhpur
Profession
Student
About me
I Love My India

Latest Activity

अरुन 'अनन्त' and Pawan Kumar are now friends
Jul 13, 2020

Pawan Kumar's Photos

  • Add Photos
  • View All

Pawan Kumar's Blog

दिल पे दस्तक

दिल पे दस्तक जो दूँ तो बुला लिजिए

दूर रहने की अब ना सजा दिजिए

मेरे नयनो की आप रोशनी हो बनी

आप बिन कुछ ना देखूँ है खुद से ठनी

ज्योति को यूँ ना दृग से जुदा किजिए

दिल पे दस्तक .......

मद में ही मै भटकता रहा दर-बदर

रास आई तन्हाई मुझे इस कदर

इस तन्हाई को अपना पता दिजिए

दिल पे दस्तक .......

दिल में दर्दे हिज्र की अब तामीर हो रही

ख्वाब में आपके मेरा जिक्र भी नही

दश्ते-बेकसी से अब तो फना किजिए

दिल पे दस्तक…

Continue

Posted on May 19, 2016 at 11:30am — 8 Comments

ख्वाब

ख्वाब!

क्या है ये?

एक पल में राजा बना देता है

और दूसरे ही पल ..............

ज्योतिषियों के लिए तो दूर दृष्टी है

और अनाडि़यों के लिए...

फ्री का सनिमा

मेहनतकश के लिए उसकी मंजिल

हमारे और आपके लिए ..........

कभी खुद भी सोच लिया करो!

ख्वाब के रंग कई रुपो में बिखरे हैं

बच्चे, बूढे, जवान

सभी अलग-अलग रुपो में

इसका दीदार करते हैं

कोई परियों के साथ खेलता है तो

किसी को अपना भविष्य नजर आता है

और किसी को उसके परिश्रम का परिणाम

ख्वाब की…

Continue

Posted on August 10, 2015 at 5:13pm — 6 Comments

इक-इक पग

डगर कठिन है

मंजिल से पहले पग रुकता है

फिर हौसलों के सहारे

एक-एक पग आगे बढता हूँ

गिरता हूँ, संभलता हूँ

क्या?

मंजिल भी

मेरे इस परिश्रम को देख रही होगी

क्या?

वह भी जश्न मनायेगी

मेरे वहाँ पहुँचने पर

कभी-कभी

ये उत्कण्ठा भी उत्पन्न हो जाती  हैं

फिर विचार आता है!

मंजिल जश्न मनाये या ना मनाये

उसे पा तो लूँगा, उसे चुमूँगा

दुनिया को दिखाउँगा कि

इसी के लिए मैने अथक प्रयास किया है

और अनवरत ही चलता रहता हूँ

इक-इक पग बढाते…

Continue

Posted on March 19, 2015 at 7:20pm — 8 Comments

खुशनसीब (लघुकथा)

दोनो बचपन की सहेलियाँ शादी होने के बहुत दिनो बाद मिली थीं. सारे दुःख-दर्द बाँटे जा रहे थे.
"मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ जो उनके जाने के बाद मुझे रोहन जैसे पति का साथ मिला जो हरपल मेरा ख्याल रखता है." पहली सहेली के चेहरे पर मुस्कान थी।.
"एक पति मेरा है, आधी रात के बाद पी के आता है, और मार-पीट के सो जाता है, ये दारु उसे कहीं ले भी तो नही जाती.
दूसरी की आँखों से बरबस ही आँसू छलक पड़े!

"मौलिक व अप्रकाशित"

Posted on November 6, 2014 at 2:30pm — 24 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:54pm on September 25, 2014, जितेन्द्र पस्टारिया said…

आपका ह्रदय से स्वागत, आदरणीय पवन जी. सादर!

At 8:23am on September 25, 2014, vijay nikore said…

Thanks for extending the hand of friendship, Pawan ji. May you flourish.

Vijay Nikore

At 10:30am on August 28, 2014, Dr Ashutosh Mishra said…

पवन जी ..आपके मित्रों की सोची में शामिल होना मेरे लिए सुखद अहसास है ..सादर 

At 8:59pm on August 22, 2014, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

पवन जी

आपका स्वागत i आप काव्य गोष्ठी में भी आये i  मित्रता को  अविस्मर्णीय बनाएं i सादर i

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service