For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत'
  • Male
  • Bhopal, Madhya Pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s Friends

  • Balram Dhakar
  • sunanda jha
  • Samar kabeer
  • Saurabh Pandey
 

प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s Page

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post धूल में खेले हुए (गज़ल)
"आ. प्रशान्त जी ,आपको पहली बार पढ़ते हुए आप में संभावनाएं दिखाई दे रही हैं. प्रयासरत रहें और गुरुजनों की बातों पर गौर करें. बहर साधने हेतु कई कक्षाएं मंच पर उपलब्ध हैं. मनन कर के लाभान्वित हों.सादर "
May 17, 2023

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post धूल में खेले हुए (गज़ल)
"आदरणीय प्रशांत जी ग़ज़ल की प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई, गुनीजनों की बातो पर गौर कीजियेगा. सादर "
May 16, 2023
प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post धूल में खेले हुए (गज़ल)
"बहुत बहुत धन्यवाद कबीर सर! इन त्रुटियों को दूर करने का प्रयास करता हूं। आपके इस मार्गदर्शन का ह्रदय से आभारी हूं।"
May 15, 2023
Samar kabeer commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post धूल में खेले हुए (गज़ल)
"जनाब 'प्रशांत' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । ग़ज़ल की कुछ त्रुटियाँ जनाब अशोक गोयल जी ने बता दी हैं । ग़ज़ल के साथ उसके अरकान भी लिख दिया करें,इससे नए सीखने वालों को आसानी होती है । 'अब मुहल्ले में नई, दास्तान हैं…"
May 13, 2023
प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post धूल में खेले हुए (गज़ल)
"बहुत बहुत धन्यवाद गोयल सर, इन त्रुटियों को सुधारने का प्रयास करुंगा और यह भी ध्यान रखूंगा कि इनकी पुनरावृत्ति न हो। आपका बहुत बहुत आभार।"
May 11, 2023
प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' posted a blog post

धूल में खेले हुए (गज़ल)

धूल में खेले हुए, कितने ज़माने हो गए।ये पता ही ना चला, कब हम सयाने हो गए।।अब मुहल्ले में नई, दास्तान हैं बनने लगीं।इश्क़ के किस्से सभी मेरे, पुराने हो गए।।शब्द कुछ यूँ ही पिरोकर, इक बहर में रख लिए।आपके होंठों से लगकर, वो तराने हो गए।।ये सियासत भी मुझे, लगती है पारस की तरह।सेवकों की झोपड़ीयां, अब ख़ज़ाने हो गए।सब अनूभव ज़िन्दगी के जोड़कर रखता तु जा।शैब में कुछ और भी, किस्से सुनाने हो गए।।साथ सावरिया मिला है, जब से तेरे नाम का।पल सभी इस ज़िंदगानी के, सुहाने हो गए।।मुश्किलों से ना कभी 'प्रशांत' घबराया…See More
May 10, 2023
प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' updated their profile
Jan 24, 2022
sunanda jha and प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' are now friends
Sep 14, 2020
प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post वीर जवान
"बहुत बहुत धन्यवाद लक्ष्मण धामी'मुसाफिर' जी । बहुत बहुत धन्यवाद समर कबीर जी"
Feb 5, 2020
प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post was featured

वीर जवान

फ़ाइलातुन  फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन2122   2122 2122धमनियों में दौड़ता यूँ तो सदा है ।।रक्त है जो देश हित में खोलता है ।।हौसला उस वीर का देखो ज़रा तुम ।गोलियों की धार में सीना तना है ।।        रणविजय तक सांस ये चलती रहेगी ।जीत से पहले यहाँ मरना मना है ।।रक्त की हर बूंद रण में है गिरी जो बूंद से  रण बांकुरा इक उठ खड़ा हैहर जनम तेरा ही बेटा मैं बनूं माँ ।आयु कम मां भारती का ऋण बड़ा है ।"मौलिक व अप्रकाशित"See More
Jan 31, 2020
Samar kabeer commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post वीर जवान
"जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें । जनाब मुसाफ़िर जी की बात का संज्ञान लें ।"
Jan 29, 2020
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post वीर जवान
"आ. भाई प्रशांत जी, सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई।  होसला को हौसला कर लीजिएगा  बूंद से  रण बांकुरा इक उठ खड़ा है इस मिसरे को यूँ करने से गुणवत्ता निखर सकती है ..सादर 'उससे नव रण बांकुरा इक उठ खड़ा है'"
Jan 27, 2020
प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' posted a blog post

वीर जवान

फ़ाइलातुन  फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन2122   2122 2122धमनियों में दौड़ता यूँ तो सदा है ।।रक्त है जो देश हित में खोलता है ।।हौसला उस वीर का देखो ज़रा तुम ।गोलियों की धार में सीना तना है ।।        रणविजय तक सांस ये चलती रहेगी ।जीत से पहले यहाँ मरना मना है ।।रक्त की हर बूंद रण में है गिरी जो बूंद से  रण बांकुरा इक उठ खड़ा हैहर जनम तेरा ही बेटा मैं बनूं माँ ।आयु कम मां भारती का ऋण बड़ा है ।"मौलिक व अप्रकाशित"See More
Jan 25, 2020
प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' posted a blog post

याद उनको कभी,मेरी आती नहीं

212 212 212 212याद उसको कभी,मेरी आती नहीं ।और ख्वाबों से मेरे,वो जाती नहीं ।।सो रही अब भी वो, चैन से रात भर ।अब इधर नींद आँखों में आती नहीं ।।वो मिले जब कभी,बात पूंछू यहीप्यार उसको नहीं, या जताती नहीं ।।लफ़्ज़ तेरे सभी,मेरे होंठों पे हैं ।गीत क्यूँ तू मिरे गुनगुनाती नहीं ।।तेरी हर बात का मैं तो काइल हुआ ।मेरी बातें तुझे क्यों लुभाती नहीं ।। मौलिक व अप्रकाशितSee More
Dec 6, 2019
KALPANA BHATT ('रौनक़') commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post लघुकथा-दीवाली के पटाखे
"http://www.openbooksonline.com/m/discussion?id=5170231%3ATopic%3A637805 आप लघुकथा की पाठशाला ज्वाइन कर सकते हैं जो ओबीओ में ही है वहां से भी आप सीख सकते हैं। सादर।"
Oct 31, 2019
प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' commented on प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s blog post लघुकथा-दीवाली के पटाखे
"बहुत बहुत धन्यवाद कल्पना भट्ट'रौनक" जी । अभी सीखना प्रारम्भ किया है और मार्गदर्शन की बहुत आवश्यकता है । लघुकथा के विषय में कैसे सीखा जाए,इसके विषय में मार्गदर्शन दें । आपका आभारी रहूंगा । सधन्यवाद ।"
Oct 31, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Bhopal,Madhya Pradesh
Native Place
Sagar,Madhya Pradesh
Profession
Training Officer,Dept. Of Skill Development,Madhya Pradesh

प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत''s Blog

धूल में खेले हुए (गज़ल)

धूल में खेले हुए, कितने ज़माने हो गए।

ये पता ही ना चला, कब हम सयाने हो गए।।

अब मुहल्ले में नई, दास्तान हैं बनने लगीं।

इश्क़ के किस्से सभी मेरे, पुराने हो गए।।

शब्द कुछ यूँ ही पिरोकर, इक बहर में रख लिए।

आपके होंठों से…

Continue

Posted on May 10, 2023 at 10:19pm — 5 Comments

वीर जवान

फ़ाइलातुन  फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन

2122   2122 2122

धमनियों में दौड़ता यूँ तो सदा है ।।

रक्त है जो देश हित में खोलता है ।।

हौसला उस वीर का देखो ज़रा तुम ।

गोलियों की धार में सीना तना है ।।…

Continue

Posted on January 25, 2020 at 5:33pm — 3 Comments

वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है(मुक्तछंद) -"सागर"

वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है,

कहीं है चैन-ओ-सुकून,तो कहीं मुसीबत है,

वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है । 

क्या था ख्याल तेरा,

बनाया किसी को गूंगा,किसी को बहरा,

बनाया तूने किसी को सबल-सुअंग,…

Continue

Posted on October 28, 2019 at 12:00pm — 2 Comments

लघुकथा-दीवाली के पटाखे

दीपावली का दिन लगभग 3:00 बजे शाम के पूजन की तैयारियां चल रही थी । माँ किचन में खीर बना रही थी,तो हमारी धर्मपत्नी जी आंगन में रंगोली डाल रही थी । मैं हॉल में बैठा हुआ व्हाट्सएप पर लोगों को दिवाली की शुभकामनाएं भेज रहा था और मेरे पिताजी,मेरे पुत्र(भैय्यू),जिसने पिछले महीने अपना तीसरा जन्म दिन मनाया था,के साथ मस्ती करने में व्यस्त थे। इस मौसम में आमतौर पर मच्छर बहुत होते हैं,इसलिए पिताजी यह भी ख़याल रख रहे थे कि भैय्यू को मच्छर न कांटें और इसके लिए उन्हें काफ़ी मसक्कत भी करनी पड़ रही थी । तभी मेरा…

Continue

Posted on October 27, 2019 at 10:23pm — 5 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service