Posted on October 12, 2011 at 6:00pm
ज़ख्म खाने को सदा तैयार होना चाहिये
Posted on September 29, 2011 at 1:45pm — 5 Comments
1. छब अपनी
Posted on September 11, 2011 at 12:30am — 2 Comments
साँसे बोझिल हैं , आँखों में पानी है
फिर भी प्यारी ये जिंदगानी है |
हर सुबह नई परेशानी है ,
फिर भी प्यारी ये जिंदगानी है |
कैसी सोची थी कैसी पाई है
जाना था कहाँ , कहाँ ले आई है |
कौन सोचे और कैसी बितानी है ,
फिर भी प्यारी ये जिंदगानी है…
ContinuePosted on August 24, 2011 at 11:59am — 9 Comments
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Comment Wall (15 comments)
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
wese aap iski saja bhi de sakte hai....me taiyaar hu......hahaha
Regards;
Julie :-)
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