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अरुन 'अनन्त''s Blog – January 2013 Archive (8)

दोहे - एक प्रयास

शब्दों के भण्डार से, भरके मीठे बोल,

बेंचो घर-घर प्रेम से, दिल का ताला खोल,

नैनो से नैना मिले, बसे नयन में आप,

मधुर-मधुर एहसास का, छोड़ गए हो छाप,

मुख में ऐसे घुल गया, जैसे मीठा पान,

भाता सबको खूब है, दोहों का मिष्ठान,

मन में लागी है लगन,…

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Added by अरुन 'अनन्त' on January 31, 2013 at 12:13pm — 15 Comments

ग़ज़ल : बहल जायेगा दिल बहलते-बहलते

आदरणीय गुरुजनों, मित्रों एवं पाठकों यह ग़ज़ल मैंने तरही मुशायरा अंक -३१, हेतु लिखी थी परन्तु समय न मिलने के कारण न तो प्रस्तुत कर सका और नहीं है मुशायरे में अच्छी तरह से भाग ले सका. क्षमा प्रार्थी हूँ सादर

बिना तेरे दिन हैं जुदाई के खलते,

कटे रात तन्हा टहलते - टहलते,

समय ने चली चाल ऐसी की प्राणी,

बदलता गया…

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Added by अरुन 'अनन्त' on January 30, 2013 at 11:19am — 18 Comments

ग़ज़ल - अदब से सिरों का झुकाना ख़तम

ख़ुशी का हँसी का ठिकाना ख़तम,

घरों में दियों का जलाना ख़तम,

बड़ों के कहे का नहीं मान है,

अदब से सिरों का झुकाना ख़तम,

कहाँ हीर राँझा रहे आज कल,

दिवानी ख़तम वो दिवाना ख़तम,

नियत डगमगाती सभी नारि पे,

दिलों…

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Added by अरुन 'अनन्त' on January 21, 2013 at 11:07am — 2 Comments

क्या खुदा भगवान आदम???

खो रहा पहचान आदम,

हो रहा शैतान आदम,

चोर मन ले फिर रहा है,

कोयले की खान आदम,

नारि पे ताकत दिखाए,

जंतु से हैवान आदम,

मौत आनी है समय पे,

जान कर अंजान आदम,

सोंचता…

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Added by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2013 at 10:59am — 2 Comments

खरामा - खरामा

खरामा - खरामा चली जिंदगी,

खरामा - खरामा घुटन बेबसी,

भरी रात दिन है नमी आँख में,

खरामा - खरामा लुटी हर ख़ुशी,

अचानक से मेरा गया बाकपन,

खरामा - खरामा गई सादगी,

शरम का ख़तम दौर हो सा गया,…

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Added by अरुन 'अनन्त' on January 18, 2013 at 11:30am — 10 Comments

ग़ज़ल - प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है

(बह्र: रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन)

वज्न : 2122, 1122, 1122, 22

चोर की भांति मेरी ओर नज़र करती है,

प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है,

फूल से गाल तेरे बाल तेरे रेशम से,

चाल हिरनी सी मेरी जान दुभर करती है,

धूप…

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Added by अरुन 'अनन्त' on January 17, 2013 at 11:23am — 16 Comments

हद है

मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,

लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,

सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,

आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

कौन…

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Added by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 11:00am — 10 Comments

दानव का किरदार ले गए

जीने के आसार ले गए,

जीवन का आधार ले गए,

भूखों की पतवार ले गए,

लूटपाट घरबार ले गए,

छीनछान व्यापार ले गए,…

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Added by अरुन 'अनन्त' on January 3, 2013 at 11:59am — 14 Comments

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