आज महात्मा गांधी जी की पुन्य तिथि पर एक बालकविता प्रस्तुत है:
अपने प्यारे बापू
कितने अच्छे थे अपने बापू
सादा सा जीवन था उनका
लड़े लड़ाई सच की ही वह
ध्यान हमेशा रखा सबका l
हिंसा ना भाती थी उनको
साथ अहिंसा का अपनाया
सबके लिये थी दया-भावना
काम बड़ा करके दिखलाया l
भारत को आज़ाद कराने में
लगा दिया जीवन था सारा
देश छुड़ाया जब अंग्रेजों से
सबसे ऊँचा था उनका नारा l
दुबली-पतली काया थी…
Added by Shanno Aggarwal on January 30, 2012 at 10:30pm — 3 Comments
हाँ, आज का दिन छुट्टी का दिन l
आजाद देश के पंछी हम
जय हिंद ! वन्दे मातरम् !
सुबह-सुबह उठी जब मुन्नी
बोली मेरी स्कूल से छुट्टी
भैया की कालेज से छुट्टी
पापा की आफिस से छुट्टी
मौज ही मौज है सारा दिन l
हाँ, आज का दिन छुट्टी का दिन l
आजाद देश के पंछी हम
जय हिंद ! वन्दे मातरम् !
निकलेगा जलूस सड़कों पर
देखेंगे टीवी हम मिलकर
हाथों में सधा तिरंगा होगा
भरत नाट्यम डांस भी होगा
होगी तब खूब ताक धिना-धिन l
हाँ, आज का दिन…
Added by Shanno Aggarwal on January 26, 2012 at 4:00am — 4 Comments
नाशाद मेरा मिहिर तो जिंदगी वफात है
साँसों के गिर्दाब में इस रूह की निजात है l
साहिर है तेरी कलम में कुछ कमाल का
जैसे खून में भरा हो कुछ रंग गुलाल का l
हर्फों में छुपा रखी है सदियों की बेबसी
तेरे चेहरे पे अब देखती हूँ ना कोई हँसी l
बातों में बेरुखाई अब होती है इस कदर
बेजार सी जिंदगी जैसे बन गई हो जहर l
तासीर न कम होती है होंठों को भींचकर
या बेसाख्ता बहते हुये अश्कों से सींचकर…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 7:50pm — 9 Comments
निशा के आँचल को समेट
खुद को किरणों में लपेट
क्षितिज पार फैली अरुणाई
बहने लगी पवन बौराई
कोहरे का आवरण हटा
सूरज ने खोले नयन कोर l
नीड़ में दुबके बैठे आकुल
भोर हुई तो चहके खगकुल
खुले झरोखे हवा की सनसन
आकर तन में भरती सिहरन
है नव प्रभात, संदेश नवल
नव उमंग, मन में हलचल
कमल सरोवर पर अलि-राग
काँव-काँव कहीं करते काग
हर्ष से तरु-पल्लव विभोर l
संक्रांति मनाते हैं हिलमिल…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 23, 2012 at 3:30am — 9 Comments
कल्पना में बिखरे कुछ टुकड़े पेश हैं:
घर में छा जातीं खुशियाँ
अगर कोई लल्ला हो गया l
और अगर जन्मी बिटिया
तो भारी पल्ला हो गया l
जब कभी फसल हुई कम
तो मंहगा गल्ला हो गया l
कोई डिग्री लेकर घर बैठे
तो वो निठल्ला हो गया l
शादी क्या हुई जनाब की
बीबी का…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 17, 2012 at 3:30am — 8 Comments
करवट लेता है नया साल
आओ कुछ उम्मीदें कर लें
अरमानों के कुछ बूटों को
दामन में हम अपने सी लें l
नेकी हो भरी दुआओं में
मायूस ना हो कोई चेहरा
जीवन हो शांत तपोवन सा
खुशिओं का रंग भरे गहरा l
ना आग बने कोई चिंगारी
ना आस बने कोई लाचारी
जग में फैला हो अमन-चैन
ना कहीं भी हो कोई बेगारी l
ओंठों पे खिली तबस्सुम हो
हर दिल में नूर हो इंसानी
आँखों में रोशन हों…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 15, 2012 at 8:00pm — No Comments
ये दुनिया गोल है
यहाँ बड़ा ववाल है
हर चीज का मोल है
बड़ा गोलमाल है l
बातों में तो मिश्री
मन में कोई चाल है
है बहेलिया ताक में
बिछा के बैठा जाल है l
कहीं ताल लबालब
कहीं पड़ा अकाल है
क्यों इतना अन्याय
उठता रहा सवाल है l
कर पायें आपत्ति
ऐसी कहाँ मजाल है
बात-बात में लोगों की
खिंच जाती खाल है l
-शन्नो अग्रवाल
Added by Shanno Aggarwal on January 15, 2012 at 7:37am — 4 Comments
है समय की दरकार l
ये है संसार
कभी ना
किसी पर
करना एतबार l
झूठ के खार
कब जाने
किस पर
कर देंगे वार l
खिला हरसिंगार
कब कौन
लूट जाये
पेड़ की बहार l
आज है प्यार
कल को
नफरत के
होंगें अंगार l
है समय की दरकार l
-शन्नो अग्रवाल
Added by Shanno Aggarwal on January 15, 2012 at 6:00am — 2 Comments
खुला मौसम गगन नीला
धरा का तन गीला - गीला l
पतंगों की उन्मुक्त उड़ान
तरु-पल्लव में है मुस्कान l
मकर-संक्रांति को भारत के हर प्रांत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. और वहाँ के वासी अलग-अलग तरीके से इस त्योहार को मनाते हैं. पंजाब में इसे लोहड़ी बोलते हैं जो मकर-संक्राति के एक दिन पहले की शाम को मनायी जाती है. और उत्तरप्रदेश में, जहां से मैं आती हूँ, इसे मकर-संक्रांति ही बोलते हैं. लोग सुबह तड़के स्नान करते हैं ठंडे पानी में. और इस दिन को खिचड़ी दिवस के रूप…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 13, 2012 at 5:30pm — 7 Comments
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