Added by शिज्जु "शकूर" on January 31, 2017 at 9:11pm — 12 Comments
212 1222 212 1222
वक्त मेरे हाथों से, यूँ फिसल गया चुपचाप
मेरी हर तमन्ना को, वो कुचल गया चुपचाप
चाक दिल, शिकस्ता पा, बेचराग़ गलियों से
भूल अपने ख्वाबों को, मैं निकल गया चुपचाप
एक आइना था…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on January 19, 2017 at 6:16pm — 7 Comments
221 2121 1221 212
सारे जहाँ को आप तो नादाँ समझते हैं
हद ये है अपने आप को इंसाँ समझते हैं
अह्ल ए अदब जो चमके है औरों के ताब से
खुद को मगर वो लाल ए बदख़्शाँ समझते हैं
आमाल में हमारे ही कमियाँ न हों जनाब
शैतान को भी लोग मुसलमाँ समझते हैं
बातों से जब न बात बनी, सर झुका लिया
धोखे में हैं जो उसको पशेमाँ समझते हैं
फिरती है वो हलक में लिए जान, और आप
कुत्तों के बीच जीने को आसाँ समझते…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on January 11, 2017 at 11:40am — 12 Comments
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