For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SALIM RAZA REWA's Blog – January 2018 Archive (6)

हमने हरिक उम्मीद का पुतला जला दिया- सलीम रज़ा

221 2121 1221 212

हमने हरिक उम्मीद का पुतला जला दिया

दुश्वारियों को पांव के नीचे दबा दिया

-

मेरी तमाम उँगलियाँ घायल तो हो गईं

लेकिन तुम्हारी याद का नक्शा मिटा दिया  

-

मैंने तमाम छाँव ग़रीबों में बांट दी

और ये किया कि धूप को पागल बना दिया

-

उसके हँसीं लिबास पे इक दाग़ क्या लगा 

सारा  ग़ुरूर ख़ाक़ में उसका मिला दिया 

-

जो  ज़ख्म  खाके भी रहा है आपका सदा 

उस दिल पे फिर से आपने खंज़र चला दिया

-

उसने निभाई ख़ूब मेरी दोस्ती "…

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on January 22, 2018 at 9:55pm — 20 Comments

तू अगर बा - वफ़ा नहीं होता - सलीम रज़ा रीवा

 2122 1212 22 

तू अगर बा - वफ़ा नहीं होता

दिल ये तुझपे फ़िदा नहीं होता   

-

इश्क़ तुमसे किया नहीं होता 

ज़िन्दगी में मज़ा नहीं होता

-

ज़िन्दगी तो  संवर गयी  होती 

ग़र वो मुझसे जुदा नहीं होता

-

उसकी चाहत ने कर दिया पागल 

प्यार  इतना  किया  नहीं  होता 

-

सबको दुनिया बुरा बनाती है

कोई इंसाँ बुरा नही होता

-

चोट खाएँ भी मुस्कुराएँ भी

अब रज़ा हौसला नहीं होता. …

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on January 13, 2018 at 10:30pm — 21 Comments

मुझसे ऐ जान-ए-जानाँ क्या हो गई ख़ता है -SALIM RAZA REWA

 221 2122 221 2122

मुझसे ऐ जान-ए-जानाँ क्या हो गई ख़ता है

जो यक-ब-यक ही मुझसे तू हो गया ख़फ़ा है

-

कुछ भी नहीं है शिकवा कुछ भी नहीं शिकायत

क़िस्मत में जो है मेरे  वो मुझको मिल रहा है

-

आंखों में नींद रुख़ पर गेसू बिखर रहे हैं

हिज्र-ए-सनम में शायद वो जागता रहा है

-

शाख़-ए-शजर हैं सूखी मुरझा गई हैं कलियाँ

गुलशन हुआ है वीरां कैसा ग़ज़ब हुआ है

-

इक पल में रूठ जाना इक पल में मान जाना 

उसकी इसी अदा ने दीवाना कर दिया है…

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on January 10, 2018 at 11:30pm — 11 Comments

जो अपने माँ-बाप के - सलीम रज़ा

22 22 22 22 22 2

जो अपने माँ-बाप के दिल को दुखाएगा

चैन-ओ- सुकूँ वो जीवन भर ना पाएगा

-

हक़ बातें तू हरगिज़ ना कह पाएगा

अहसानों के तले  अगर दब जाएगा

-

उस दिन दुनिया ख़ुशिओं से भर जाएगी

जिस दिन प्रीतम लौट के घर को आएगा

-

भूँखा -प्यासा जब देखेगी बेटों को

माँ का दिल टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा

-

उसकी मुरादें सब पूरी हो जाएंगी

दर पे उसके जो दामन फैलाएगा

-

मेरी…

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on January 7, 2018 at 6:00pm — 12 Comments

वज़्म ये सजी कैसी कैसा ये उजाला है - सलीम रज़ा

212 1222 212 1222

बज़्म ये सजी कैसी कैसा ये उजाला है

महकी सी फ़ज़ाएँ हैं कौन आने वाला है

-

चाँद जैसे चेहरे पे तिल जो काला काला है

मेरे घर के आँगन में सुरमई उजाला है

-

इतनी सी गुज़ारिश है नींद अब तू जल्दी आ 

आज मेरे सपने में यार आने वाला है

-

जागना वो रातों को भूक प्यास दुख सहना

माँ ने अपने बच्चों को मुश्किलों से पाला है

-

उसके दस्त-ए-क़ुदरत में ही निज़ाम-ए-दुनिया है

इस जहान-ए-फ़ानी को जो बनाने वाला है

-…

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on January 4, 2018 at 5:30pm — 28 Comments

मुश्क़िलों में दिल के भी रिश्ते - सलीम रज़ा

2122 2122 2122 212

.

मुश्किलों में दिल के भी रिश्ते पुराने हो गए

ग़ैर से क्या  हो गिला अपने  बेगाने हो गए

-

चंद दिन के फ़ासले के बा'द हम जब भी मिले

यूँ लगा जैसे  मिले  हमको ज़माने  हो गए

-

पतझड़ों  के साथ मेरे दिन गुज़रते थे कभी

आप के आने से मेरे  दिन  सुहाने हो  गए

-

मुस्कराहट उनकी  कैसे भूल पाएगें  कभी

इक नज़र देखा जिन्हें औ हम दिवाने हो गए

-

आँख में शर्म-ओ-हया, पाबंदियाँ, रुस्वाईयां

उनके न  आने  के  ये…

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on January 2, 2018 at 9:00pm — 18 Comments

Monthly Archives

2023

2019

2018

2017

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service