मुसीबतों से लोकतंत्र को, जल्दी उबारना होगा
निर्धनों के हक़ में देश में कानून बदलना होगा |
निर्धन नहीं खड़ा हो सकता, पार्षद के भी चुनाव में
लाखों रुपये चाहिए उसे, चुनाव दंगल लड़ने में |
गणतंत्र अभी धनतंत्र हुआ, धनाढ्य चुनाव लड़ते हैं
गरीब कैसे लडेगा भला, पास न लाखो रूपये हैं’ |
धनबल बाहुबल की प्रचुरता, ताकत बड़ी अमीरों की
निर्धनता ही कमजोरी है, इस देश के गरीबो की |
भ्रष्टाचार और महँगाई, साथ यौन शोषण भी…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on January 28, 2018 at 10:17am — 5 Comments
काफिया :अन ; रदीफ़ : को
बहर : १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
अलग अलग बात करते सब, नहीं जाने ये' जीवन को
ये' माया मोह का चक्कर है’ कैसे काटे’ बंधन को|
किए आईना’दारी मुग्ध नारी जाति को जग में
नयन मुख के सजावट बीच भूले नारी’ कंगन को |
सुधा रस फूल का पीने दो’ अलि को पर कली को छोड़
कली को नाश कर अब क्यों उजाड़ो पुष्प गुलशन को|
बदी की है वही जिसके लिए हमने दुआ माँगी
न ईश्वर दोस्त ऐसे दे मुझे या मेरे…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on January 23, 2018 at 11:02am — 8 Comments
काफिया : अम रदीफ़: देखते हैं
बह्र : १२२ १२२ १२२ १२२
महात्मा जो हैं, वो करम देखते हैं
अधम लोग उसका, जनम देखते हैं |
बहुत है दुखी कौम गम देखते हैं
सुखी कौम गम को तो’ कम देखते हैं |
अतिथि मुल्क में जो भी’ आये यहाँ पर
मनोहर बियाबाँ, इरम देखते है |
दिशा हीन सब नौजवान और करते क्या
वज़ीरों के’ नक़्शे कदम देखते हैं |
किया देश हित काम जनता ही’ देखे
विपक्षी तो’ केवल सितम देखते हैं…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on January 17, 2018 at 11:30am — 2 Comments
काफिया : आद ; रदीफ़ :नहीं
बहर : २१२२ २१२२ २१२२ २२(११२)
हुक्म की तामील करना कोई’ बेदाद नहीं
बादशाही सैनिकों से कोई’ फ़रियाद नहीं |
“देशवासी की तरक्की हो” पुराना नारा
है नई बोतल, सुरा में तो’ ईजाद नहीं |
भक्त था वह, मूर्ति पूजा की लगन से उसने
द्रौण से सीखा सही वह, द्रौण उस्ताद नहीं |
देश है आज़ाद, हैं आज़ाद भारतवासी
किन्तु दकियानूसी’ धार्मिक सोच आज़ाद नहीं |
लूटने का मामला…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on January 13, 2018 at 9:41am — 8 Comments
काफिया : आब ; रदीफ़ : में
बहर : २२१ २१२१ १२२१ २१२
चहरा छुपा रखा है’ सनम ने नकाब में
मुहँ बंद किन्तु भौंहे’ चड़ी हैं इताब में |
इंसान जो अज़ीम है’ बेदाग़ है यहाँ
है आग किन्तु दाग नहीं आफताब में |
जाना नहीं है को’ई भी सच और झूठ को
इंसान जी रहे हैं यहाँ’ पर सराब में |
इंसां में’ कर्म दोष है’, जीवात्मा’ में नहीं
है दाग चाँद में, नहीं’ वो ज्योति ताब में |
मदहोश जिस्म और नशीले…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on January 8, 2018 at 10:00am — 8 Comments
नव वर्ष २०१८ के लिए हार्दिक शुभकामनाओं सहित |
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काफिया : अर ;रदीफ़ : लगता है
बहर: २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २
सुन्दर फूलों की खुशबू मोहक मंजर लगता है |
फागुन आने के पहले ही, होली अवसर लगता है |
मधुमास में’ टेसू चम्पा, और चमेली का है जलवा
श्रृंगार से धरती दुल्हन लगती, गुल जेवर लगता है |
काले बादल बरसे गांवों में, मन का आपा खोकर
जहां भी देखो नीर नीर…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on January 2, 2018 at 9:00am — 8 Comments
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