For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr.Prachi Singh's Blog – February 2017 Archive (4)

प्रेम कहाँ पूरा होता है.... गीत / डॉ० प्राची

इक क़तरा भी रह न जाए, करना होगा ख़ुद को अर्पण,

प्रेम कहाँ पूरा होता है, अगर अधूरा रहे समर्पण।



लहर-लहर लहरें इतराकर

जी भर चंचलता तो जी लें,

हो वाचाल अगर अंतः तो

कैसे फिर होठों को सी लें,

तृप्त हुई लहरें खुद थम कर आखिर बन जाती हैं दर्पण।

प्रेम...



बारी-बारी इक दूजे में

आओ हो जाएँ हम-तुम गुम,

मुझको भी अभिव्यक्ति मिले और

ख़ुद को भी अभिव्यक्त करो तुम,

रात दिवस से, दिवस रात से, यही कहा करते हैं क्षण-क्षण।

प्रेम...…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on February 14, 2017 at 12:00pm — 7 Comments

बस लहर थामे रहे व्यवहार .....गीत/प्राची

जानती हूँ वायदों के बंध होते हैं जटिल

मुक्त हों हर बंध से मैं प्यार इतना चाहती हूँ...



ताज़गी की आड़ में कितनी थकन थी, क्या कहूँ

खिड़कियाँ सारी खुलीं थीं पर घुटन थी, क्या कहूँ

अब मिले हर स्वप्न को विस्तार इतना चाहती हूँ...



हर ख़ुशी मुझको मिली है आप जबसे मिल गए

आस के जो फूल मुरझाए हुए थे, खिल गए

गूँजता हर पल रहे मल्हार इतना चाहती हूँ...



आप तक आवाज़ पहुँचे मैं पुकारूँ जब कभी

आप भी जब-जब पुकारें मैं चली आऊँ तभी

प्यार का विश्वास…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on February 12, 2017 at 11:00am — 10 Comments

हैपी चौकलेट डे ....//डॉ० प्राची

Happy Chocolate Day

एक चौकलेटी गीत के साथ



बंद करो इस लुका-छिपी को

दिल का हर इक राज बताओ,

चौकलेट्स लिये तोहफ़े में

आओ पास अभी आ जाओ।



कुछ मुस्काकर कुछ इतराकर

परतें चलो सुनहरी खोलें,

इक दूजे का मीठापन रख

आज जुबाँ में मिसरी घोलें,



छोड़ो मन की भूल-भुलैया

आओ जल्दी हाथ मिलाओ। चौकलेट्स...



जो मैं बोलूँ वो तुम समझो

मैं भी समझूँ जो तुम बोलो,

पास बैठ कर, हँस कर रो कर

दिल की सारी गाँठें खोलो,



कितना… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on February 9, 2017 at 8:52am — 5 Comments

मन शायद अपना अस्तित्व टटोल रहा है // डॉ० प्राची

फिर बिसरी यादों के पन्ने खोल रहा है,

मन शायद अपना अस्तित्व टटोल रहा है।



गुमसुम गुपचुप ठिठकी सी खिड़की ने अपनी

छोड़ी सकुचाहट भर ली जी भर अँगड़ाई,

रेशम पर बिखरे फूलों ने सिलवट-सिलवट

आहिस्ता से रीत मोहब्बत की दोहराई,



सुध-बुध बिसराए मुस्कानें ओढ़े तन पर

करवट-करवट क्यों मदमाता डोल रहा है?

मन शायद...



रुकी-रुकी पलकों पर दी सपनों ने दस्तक

रुँधे कण्ठ ने आस गीत गाए फिर गुनगुन,

फिर बाँधे मन्नत के धागे मंदिर-मंदिर

कोमल एहसासों के… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on February 2, 2017 at 1:13pm — 10 Comments

Monthly Archives

2022

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। आ. भाई तिलकराज जी की बात से सहमत…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। सजल का प्रयास अच्छा हुआ है। कुछ अच्छे शेर हुए हैं पर कुछ अभी समय चाहते…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई गजेन्द्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई तिलकराज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, प्रशंसा, मार्गदर्शन और स्नेह के लिए हार्दिक…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, गजल का सुंदर प्रयास हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी सादर अभिवादन। एक जटिल बह्र में खूबसूरत गजल कही है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे शेर हुए। मतले के शेर पर एक बार और ध्यान देने की आवश्यकता है।"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेन्द्र जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका  ग़ज़ल को निखारने का पुनः प्रयास करती…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका, बेहतरी का प्रयास ज़रूर करूँगी  सादर "
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"ग़़ज़ल लिखूँगा कहानी मगर धीरे धीरेसमझ में ये आया हुनर धीरे धीरे—कहानी नहीं मैं हकीकत…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नहीं ऐसी बातें कही जाती इकदम     अहद से तू अपने मुकर धीरे-धीरे  जैसा कि प्रथम…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मुझसे टाईप करने में ग़लती हो गयी थी, दो बार तुझे आ गया था। तुझे ले न जाये उधर तेज़ धाराजिधर उठ रहे…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service