212 / 1222 / 212 / 1222 |
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वाकिया हुआ कैसे बाद ये जमानों के |
मस्ज़िदी भजन गाये मंदिरी अजानों के |
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हौसला चराग़ों का यूं चला तबीयत… |
Added by मिथिलेश वामनकर on February 22, 2015 at 11:30pm — 31 Comments
22 / 22 / 22 / 22 / 22 / 2 |
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बादल जब बेज़ार किसी से क्या कहना |
फिर कैसी बौछार किसी से क्या कहना |
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ख़ामोशी,… |
Added by मिथिलेश वामनकर on February 18, 2015 at 10:30am — 32 Comments
121--22--121--22--121--22--121—22
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हमें इज़ाज़त मिले ज़रा हम नई सदी को निकल रहे है
जवाँ परिंदे उड़ानों की अब, हर इक इबारत बदल रहे हैं।*
गुलाबी सपने उफ़क में कितने मुहब्बतों से बिखर गए है
नया सवेरा अज़ीम करने, किसी के अरमां मचल रहे है।
मिले थे ऐसे वो ज़िन्दगी से, मिले कोई जैसे अजनबी से
हयात से जो मिली है ठोकर जरा - जरा हम संभल…
ContinueAdded by मिथिलेश वामनकर on February 17, 2015 at 2:30pm — 31 Comments
22--22--22--22--22--22--22--2 |
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हँसते - हँसते रो लेता हूँ, रोते - रोते हँसता हूँ |
कोई मुझसे ये मत पूछो आखिर क्यों मैं ऐसा हूँ |
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आईने-सी… |
Added by मिथिलेश वामनकर on February 10, 2015 at 11:00pm — 45 Comments
2122—2122—2122—212 |
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खेत की, खलिहान की औ गाँव की ये मस्तियाँ |
कितनी दिलकश हो गई है बाजरे की बालियाँ |
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वो कहन क्यूं खो गई जो महफिलों को लूट… |
Added by मिथिलेश वामनकर on February 5, 2015 at 11:00pm — 27 Comments
2122—2122—2122—212 |
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रात भर संघर्ष कर जब थक गई ये आँधियाँ |
एक दस्तक दी हवा ने, खुल गई सब खिड़कियाँ |
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जो गया , जाना उसे था , कौन जो ठहरा… |
Added by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 3:00am — 41 Comments
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