For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SALIM RAZA REWA's Blog – February 2018 Archive (5)

ख़ाब इतने न दिखा दे मुझको - सलीम रज़ा रीवा

2122 1122 22

पहले ग़लती तो बता दे मुझको
फिर जो चाहे वो सज़ा दे मुझको
oo
सारी दुनिया से अलग हो जाऊँ
ख़ाब इतने न दिखा दे मुझको
oo
हो के मजबूर ग़म-ए-दौरां से
ये भी मुमकिन है भुला दे मुझको
oo
या खुदा वक़्त-ए-नज़ा से पहले
उसका दीदार करा दे मुझको
oo
साथ चलना हो 'रज़ा' नामुमकिन
ऐसी शर्तें  न सुना दे मुझको 


_____________________
 मौलिक व अप्रकाशित

Added by SALIM RAZA REWA on February 26, 2018 at 8:00pm — 10 Comments

मेरा हमदम है तो हर ग़म से बचाने आए - SALIM RAZA REWA

2122 1122 1122 22

मेरा हमदम है तो हर ग़म से बचाने आए

मुश्किलों में भी मेरा साथ निभाने आए

oo

चाँद तारे भी यहाँ बन के दिवाने आए 

उनकी खुश्बू के समन्दर में नहाने आए 

oo

रश्क करते हैं जिन्हे देखकर सितारे भी 

मस्त नज़रों से वही जाम पिलाने आए

oo

उनके दीदार से आंखों को सुकूं मिलता है 

ख़ुद से कर-कर के कई बार बहाने आए

oo

उनकी निसबत से…

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on February 14, 2018 at 8:00pm — 9 Comments

हमने तुम्हारे वास्ते क्या क्या नहीं किया - सलीम रज़ा

221 2121 1221 212 

हमने तुम्हारे वास्ते क्या क्या नहीं किया

अफ़सोस तुमने हमपे भरोसा नहीं किया

oo

आया है जब से नाम तुम्‍हारा ज़बान पर 

होटों ने फिर किसी का भी चर्चा नहीं किया

oo

ज़ुल्मों सितम ज़माने के हंस हंस के सह लिए

लेकिन कभी ईमान का सौदा नहीं किया 

oo

अमनो अमां से हमने गुज़ारी है ज़िंदगी 

मज़हब के नाम पर कभी झगड़ा नहीं किया

oo

उम्मीद उस बशर से करें क्या वफ़ा की हम

जिसने किसी के साथ भी अच्छा नहीं किया…

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on February 6, 2018 at 10:30pm — 14 Comments

जीने की आरज़ू तो है सब को खुशी के साथ - सलीम रज़ा रीवा

221 2121 1221 212 

जीने की आरज़ू तो है सब को खुशी के साथ

ग़म भी लगे हुए हैं मगर ज़िन्दगी के  साथ

-  

नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के साथ 

दिल में उतर  गया वो बड़ी सादगी के साथ

-  

आएगा मुश्किलों में भी जीने का फ़न तुझे

कुछ दिन गुज़ार ले तू मेरी ज़िन्दगी के साथ

-  

ख़ून-ए- जिगर निचोड़ के रखते हैं शेर में

यूँ ही नहीं है प्यार हमें  शायरी के…

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on February 4, 2018 at 10:00am — 18 Comments

दूर दामन से तेरे गर्दिश-ए-अय्याम रहे - SALIM RAZA REWA

2122 1122 1122  22/112

ये हमारी है दुआ शाद तू गुलफा़म रहे

दूर ही तुझसे सदा गर्दिश-ए-अय्याम रहे

-

सारी दुनिया में तेरे इल्म की महके ख़ुश्बू

जब तलक चाँद सितारें  हों तेरा नाम रहे

-

इस तरह तेरे तसव्वुर में मगन हो जाऊँ

मुझको अपनों से न ग़ैरों से कोई काम रहे

-

जब तेरी दीद को हम शहर में तेरे पहुंचें

अपने दामन से न लिपटा कोई इल्ज़ाम रहे

-

तेरी ख़ुशहाली की हरपल ये दुआ करते हैं 

तेरे  दामन  में  ख़ुशी  सुब्ह रहे शाम रहे …

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on February 1, 2018 at 7:30am — 26 Comments

Monthly Archives

2023

2019

2018

2017

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service