प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ...
गूँज लें सारी फिजाएँ
युगल मन मल्हार गाएँ
चंद्रिकामय बन चकोरी
प्रेम उद्घोषण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ...
मन-स्पंदन कर दूँ शब्दित
तोड़ कर हर बंध शापित
नेह पूरित निर्झरित उर
गान से तर्पण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on March 31, 2013 at 12:00pm — 28 Comments
घण्टियों की
खनखनाती खिलखिलाहट
से गूँज उठी
हर पूजास्थली..
मन्नत की
लाल चूनर और रंगीन धागों के
ग्रंथिबंधन में आबद्ध हुए सारे स्तम्भ
और बरगद पीपल की हर शाख..
माँ के दर फैलाये झोली,
जोड़े कर, झुकाए सर,
नवदम्पत्ति मांग रहे हैं भिक्षा-
पुत्र रत्न की...
और हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं !!!
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उड़ान भरने को व्याकुल
पर फड़फड़ाते…
Added by Dr.Prachi Singh on March 8, 2013 at 10:30am — 24 Comments
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