ग़ज़ल (यूँ ही तो न मायूस हम हो गए)
(फ ऊलन _फ ऊलन _फ ऊलन _फ अल)
यूँ ही तो न मायूस हम हो गएl
अचानक सितम उनके कम हो गए l
ज़माने की नाकाम साज़िश हुई
वो मेरे हुए उनके हम हो गए l
खिलाफे सितम क्या सुखनवर लिखें
बिकाऊ जब उनके क़लम हो गए l
हुकूमत बचा ज़ुल्म की संग दिल
सभी अब खिलाफे सितम हो गए l
कोई आ गया आख़री वक़्त क्या
सभी खत्म दिल के अलम हो गए l
यूँ ही तो न यारों को हैरत हुई…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on March 14, 2019 at 5:23pm — 6 Comments
ग़ज़ल (जो वाकिफ़ ही नहीं नामे वफ़ा से)
(मफाई लुन _मफाई लुन _फ ऊलन)
जो वाकिफ़ ही नहीं नामे वफ़ा सेl
लगा बैठा हूँ दिल उस दिलरुबा से l
वो बिन मांगे ही मुझको मिल गए हैं
करूँ कोई दुआ अब क्या ख़ुदा से l
झुका मुंसिफ़ भी ज़र के आगे वर्ना
बरी होता नहीं क़ातिल सज़ा से l
परायों का करूँ मैं कैसे शिकवा
मुझे लूटा है अपनों ने दगा से l
ये है फिरक़ा परस्तों की ही साज़िश
बुझा कब दीप उलफत का हवा से…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on March 4, 2019 at 7:49pm — 8 Comments
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