Added by sanjiv verma 'salil' on March 31, 2011 at 12:06pm — 3 Comments
मुक्तिका:
हुआ सवेरा
संजीव 'सलिल'
*
हुआ सवेरा मिली हाथ को आज कलम फिर.
भाषा शिल्प कथानक मिलकर पीट रहे सिर..
भाव भूमि पर नभ का छंद नगाड़ा पीटे.
बिम्ब दामिनी, लय की मेघ घटा आयी घिर..
बूँद प्रतीकों की, मुहावरों की फुहार है.
तत्सम-तद्भव पुष्प-पंखुरियाँ डूब रहीं तिर..
अलंकार की छटा मनोहर उषा-साँझ सी.
शतदल-शोभित सलिल-धार ज्यों सतत रही झिर..
राजनीति के कोल्हू में जननीति वृषभ क्यों?
बिन पाये प्रतिदान रहा बरसों…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on March 31, 2011 at 9:30am — 1 Comment
नवगीत
कब होंगे आज़ाद हम
संजीव 'सलिल'
*
कब होंगे आजाद?
कहो हम
कब होंगे आजाद?
गए विदेशी पर देशी
अंग्रेज कर रहे शासन
भाषण देतीं सरकारें पर दे
न सकीं हैं राशन
मंत्री से संतरी तक कुटिल
कुतंत्री बनकर गिद्ध-
नोच-खा रहे
भारत माँ को
ले चटखारे स्वाद
कब होंगे आजाद?
कहो…
Added by sanjiv verma 'salil' on March 26, 2011 at 12:29am — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 21, 2011 at 6:40pm — 7 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 21, 2011 at 6:39pm — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 20, 2011 at 10:24am — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 19, 2011 at 11:52pm — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 13, 2011 at 2:34pm — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 9, 2011 at 7:46am — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 9, 2011 at 7:32am — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 7, 2011 at 5:39pm — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 7, 2011 at 5:38pm — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 7, 2011 at 5:30pm — 3 Comments
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