For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr Ashutosh Mishra's Blog – March 2014 Archive (5)

जो भूखा रो रहा उसको नही रोटी खिलाते हैं

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

जो भूखा रो रहा उसको नही रोटी खिलाते हैं

जो बुत हैं मौन मंदिर में उन्हें सब सर झुकाते हैं

 

जिकर होता है जिसका दोस्तों हर सांस में मेरी

मेरे दुश्मन का लेके नाम वो मेंहदी रचाते है  

 

जहाँ भी चाहते दिल फेंकते आदत है ये उनकी

नजर जब हमसे मिलती है तो वो कितना लजाते हैं

 

सजाये थे गुलाबी पांखुरी से पथ मगर अब क्या

जो पल्लू झाड़ियों में खुद ही अब उलझाये जाते हैं

 

गुलाबों की भी किस्मत आशु…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on March 30, 2014 at 1:00pm — 19 Comments

बदला हुआ नजारा क्यूँ खुद आप सोचिये

२२१२ १२२२ २२१ २१२

वो बज्म में यूं तनहा क्यूँ खुद आप सोचिये

वो मैकदे मैं प्यासा क्यूँ खुद आप सोचिये

 

सूरज फलक पे आता है हर रोज वक़्त पर

फिर भी रहा अँधेरा क्यूँ खुद आप सोचिये

 

बचपन जवान होने से पहले ज़वाँ हुए

है बात इक इशारा क्यूँ खुद आप सोचिये

 

भरपूर तेल बाती भी दमदार थी मगर

किस ने दिया बुझाया क्यूँ खुद आप सोचिये

 

कांधा जो देने आया था हर शख्स गैर था

खुद को ही यूं मिटाया  क्यूँ खुद आप…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on March 28, 2014 at 4:00pm — 12 Comments

अभी तो म्यान देखी है अभी तलवार देखोगे

१२२२    १२२२     १२२२    १२२२

अभी तो म्यान देखी है अभी तलवार देखोगे

हिरन के सींग देखे सींग की तुम मार  देखोगे 

 

बहुत खुश होते हो परदे के जिन अश्लील चित्रों पर

बहुत रोओगे जब घर पर यही बाज़ार देखोगे

 

जिस्म की मंडियों में डोलते हो बन के सौदागर

करोगे खुदकशी बेटी को जब लाचार देखोगे

 

नदी, नाले, तलैया-ताल यारों देखकर सँभलो

नहीं तो तुम सड़े पानी का पारावार देखोगे

 

अभी भाता बहुत है ये सफ़र पूरब से पश्चिम…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on March 26, 2014 at 5:00pm — 12 Comments

औरो से हूँ जुदा तुझे भी होगा कल यकी

२२१२ १२१२ १२१२ १२

कातिल हँसी तू इक दफा जो हमको  देख ले

किस की हो फिर मजाल भी जो तुझको देख ले

 

औरो से हूँ जुदा तुझे भी होगा कल यकी

मलिका-ए- हुस्न पहले जो तू सबको देख ले

 

दिलकश हसींन कातिलों में कुछ तो बात है

धड़कन थमें जो इक दफा भी उसको देख ले

 

दिल चाहता जिसे उसे मैं कहता हूँ खुदा

जब सामने खुदा तो कोई किसको देख ले

 

सागर की आरजू कभी भी थी नहीं मेरी

आँखों में जाम भर के ही तू हमको देख…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2014 at 1:30pm — 16 Comments

लव चूमना गुलों के हैं आसाँ कहाँ भ्रमर

221   2122        222  1222

बीरान जिन्दगी में वो आयी बहारों सी

सहरा में तपते जैसे कोई आबशारों सी

लगती है इक ग़ज़ल की ही मानिंद वो मुझको

उसकी तो हर अदा ही हो जैसे अशारों सी

जुल्फों को जब गुलों से है उसने सजाया तो

मुझको लगी अदा ये यारों चाँद तारों सी

जब साथ साथ चलके भी वो दूर रहती है 

तब लगती इक नदी के ही वो दो किनारों सी

मौसम हसींन सर्द है गर हो गयी बारिश

होगी हसींन  सी कली वो बेकरारों…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on March 5, 2014 at 3:30pm — 9 Comments

Monthly Archives

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service