Added by rajesh kumari on March 28, 2012 at 7:55pm — 16 Comments
भावनाओं का दमन,
संवेदनाओं का संकुचन देख रहे हैं
आदान-प्रदान सब गौण हुए
अब ऐसा चलन देख रहे हैं |
स्वार्थ के बढ़ते दाएरे,
जन- जन को छलते देख रहे हैं
हिंद का वैभव स्विस बेंकों में
हक को जलते देख रहे हैं |
भ्रष्टाचारी को जीवंत,
संत ज्ञानी को मरते देख रहे हैं
अगन उगलते सूरज में,
नम धरा झुलसते देख रहे हैं |
दूध की नदियाँ…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 26, 2012 at 10:30am — 10 Comments
आज मन में क्यूँ उठी मेरे लहर
चाँद जाने दे गया कैसी खबर
चलो घर को अपने करीने से सजा लूँ
किसको साथ लाती है मेरी सहर
बहकी बहकी सी फ़िजा लगती है
कौन जाने है ये किसका असर
वो तो समझो है शाइस्तगी मेरी
वर्ना हक़ से कहती अभी और ठहर
आजकल दरवाजे उनके बंद रहते हैं
चुपचाप ना जाने वो गए किधर
रुसवाइयों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता
कसम से हैं वो बड़े बेखबर
रास्ता शायद वो दरिया भूल गया
मुड़ गया इस और जो…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 21, 2012 at 2:09pm — 20 Comments
वो टूटा फिर से सितारा मोहब्बत की खातिर
देख लो तुम भी नजारा मोहब्बत की खातिर
आ जाओ तसव्वुर में घडी दो घडी
ये वक़्त न मिलेगा दुबारा मोहब्बत की खातिर
लोग तो इश्क में जीवन ही लुटा देते हैं
दे दो बाँहों का सहारा मोहब्बत की खातिर
छूट गई है मेरे हाथों से पतंग की डोर
थाम लो इसका किनारा मोहब्बत की खातिर
खुशियों की ये दौलत मुझसे छीन ना लेना
ग़ुरबत में जीवन है…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 9, 2012 at 9:17am — 9 Comments
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