------पानी में आग -----------
पानी में आग वे लगाने लगे है .
भूखे थे पर वे चहचहाने लगे है .
फूलों की मानिंद प्यार करते थे
काँटों से दोस्ती वे निभाने लगे है .
जो स्वयं पास न कर सके परीक्षा
ऐसे शिक्षक आज पढ़ाने लगे है .
पुलिस ने चोरो से की दोस्ती
गश्त में वे अपनी सुसताने लगे .
देशसेवा का जज्बा लिए थे जो
वे अपने देश को ही खाने लगे है…
ContinueAdded by Omprakash Kshatriya on March 18, 2014 at 6:30pm — 12 Comments
मन तरसे
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तन तरसे मन तरसे .
होली का रंग बरसे .
मै हो गई प्रेम दीवानी
मुझे देख मधुकर हरषे .
फूल गई सब कालिया
मै सुखी निकली घर से .
कोयल कूके पपीहा गाए
भटकी मै बावरी घर से .
लगी हुई विरह वेदना
इलाज नहीं होता हर से .
मेरे प्रियत्तम आ जाओ
मिटे वेदना उस पल से .
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मौलिक व अप्रकाशित"
ओमप्रकाश क्षत्रिय…
Added by Omprakash Kshatriya on March 10, 2014 at 7:00am — 18 Comments
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