(212 212)
मुतदारिक मुरब्बा सालिम
चांदनी रात है
वाह क्या बात है I
रात का तम गया
अब धवल प्रात है I
मौन वंशी लिए
वह खड़ा तात है I
पुष्प के बाण से
काम का घात है I
राग-अनुराग की
दिव्य बरसात है I
कामना है मधुर
भाव अवदात है I
नन्द का लाडला
नेह निष्णात है I
आपगा तीर पर
राधिका स्नात है I
नेह…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 30, 2015 at 1:37pm — 29 Comments
भगवान किसी को लडकी न दे I लडकी दे तो उसे जवान न करे I जवान करे तो उसे खूबसूरत न बनाये I एक अदद जवान, खूबसूरत और कुमारी कन्या का खुशनसीब बाप होने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ I पहले मैं समझता था की स्वस्थ और सुन्दर लडकी का पिता होना एक गौरव की बात है I इससे न केवल उसका विवाह करने में आसानी होगी बल्कि आवश्यकता पड़ने पर उसे नर्तकी या अभिनेत्री भी बनाया जा सकता है और यदि उसमे कामयाबी न मिली तो किसी प्राईवेट फर्म में रिसेप्शनिस्ट का चांस तो पक्का ही है I लेकिन मेरे इन सभी सपनो पर उस समय…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 26, 2015 at 7:00pm — 18 Comments
(यहाँ प्रति दोहे में वृत्यानुप्रास है किन्तु सम्पुर्ण रचना में छेकानुप्रास है अंतर यह है की वृत्यानुप्रास में एक ही वर्ण की पुनरावृत्ति होती है जबकि छेका में अनेक वर्णों की )
गा-गाकर गौरव गिरा गरिमामय गन्धर्व
गीर्वाण गुरु, गीतिमय , गान-ज्ञान गुण गर्व I
भक्त भगवती भारती भूरि भावमय भव्य
भावशवलता, भ्रान्तिता भ्रमित भनिति भवितव्य I
वीणापाणि वरानना वरे विदुष विद्वान
वाणी-वाणी वत्सला वर्ण-वर्ण वरदान I
शुभ्र…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 24, 2015 at 11:00am — 31 Comments
पुरवा बयार सी
मद भरे ज्वार सी
फूलो में जवा सी
स्पर्श में हवा सी
महुआ की गंध सी
पाटल सुगंध सी
आमों की बौर सी
करौंदे की झौर सी
नीम की महक सी
पलाश की दहक सी
टूटे मोर पंख सी
पूजागृह के शंख सी
मंदिर के दीप सी
मोती भरी सीप सी
जल भरे डोल सी
विद्युत् कपोल सी
लहराते व्याल सी
दृप्त इंद्रजाल सी
पावस की धार सी
राधा के प्यार सी
पतझड़ के अंत सी
सौरभ बसंत…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 19, 2015 at 6:30pm — 25 Comments
अमीर खुसरो की रचना
जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन तगाफुल, दुराय नैना बनाय बतियाँ।
कि ताबे हिज्राँ, न दारम ऐ जाँ, न लेहु काहे लगाय छतियाँ।।
शबाने हिज्राँ दराज चूँ जुल्फ बरोजे वसलत चूँ उम्र कोताह।
सखी पिया को जो मैं न देखूँ तो कैसे काटूँ अँधेरी रतियाँ।
यकायक अज़दिल दू चश्मे जादू बसद फरेबम बवुर्द तस्कीं।
किसे पड़ी…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 17, 2015 at 4:00pm — 23 Comments
222 222 2
बातो के लच्छे लाये
यारो दिन अच्छे लाये
भारत को फिर से तुमने
दिन में नक्षत्र दिखाये
संसार पसारे आँचल
तुमने बहु नाच नचाये
पहले नजरे की ऊंची
अब फिरते आँख चुराये
हम अपना दर्द सुनाते
तुम अपनी जाते गाये
दूरागत ढोल सुहाने
जब जाना तब पछताये
थे रंक, बनाया राजा
तुम हम पर ही गुर्राये
ईश्वर देखेगा तुमको
हम नत…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 15, 2015 at 9:00pm — 12 Comments
‘सुना है औलिया से आपका बड़ा याराना है ?’
विजय के उन्माद में झूमते हुए सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक ने अमीर खुसरो से कहा I बादशाह की फ़ौज युद्ध में विजयी होकर दिल्ली की ओर वापस हो रही थी I सुल्तान तुगलक एक लखनौती हाथी पर सवार था I अमीर् खुसरो बादशाह के बगलगीर होकर दूसरे हाथी पर चल रहे थे I
‘तौबा हुजुर ---‘ खुसरो ने चौंक कर कहा “आप भी लोगो के बहकावे में आ गए सुल्तान I वह मेरे पीर-ओ-मुर्शिद हैं I मै उनका अदना सा शागिर्द हूँ I ’
‘तो क्या सचमुच तुम दोनों में बस यही सम्बन्ध…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 11, 2015 at 6:30pm — 21 Comments
कैसा यह ---
जिसे विश्व कहता है
बलात्कारो का देश
जिसकी राजधानी को
रेप सिटी कहते हैं
जिस देश में आंकड़े बताते है
हर बीस मिनट पर
होता है एक रेप
जहां के सांसद और विधायक
अभियुक्त है
अनेक हत्या और बलात्कार के
जिन पर होती नहीं कोई कार्यवाही
जहां बलात्कार के बाद होती है हत्या
जहाँ तंदूर में जलाई जाती है नारी
जहाँ रेप के बाद निकली जाती है आँखे
जहाँ निर्भया की चीखती है अतडियाँ
जहा प्रतिबन्धित…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 8, 2015 at 6:30pm — 26 Comments
रख दिए उसने
छोटी सी अटैची में
कुछ कपडे सहेज के
जो जरूरी हैं सफ़र के लिए
क्योंकि वह पत्नी है जानती है
मेरी आवश्यकताये
मै जानता हूँ
उसमे क्या होगा
एक जोड़ी कपडे, कच्छा-बनयाईन
परफ्यूम की शीशी, शेव का सामान
एक टूथ-ब्रश, जीभी और पेस्ट
छोटा सा कंघा, फकत एक शीशा
लंच का पैकेट भी
है कुछ मेरी
अपनी भी तैयारियां
पसंद का रूमाल सादा और…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 7, 2015 at 8:30pm — 14 Comments
पुलिस को पीछे आते देखकर डाकू रुक गये I इंस्पेक्टर ने ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग कर कहा – ‘पुलिस ने कोई घेरा नहीं डाला है सरदार से कहो बात करे I’
’अरे हम है धन्ना सिंह I आवा हो इंस्पेक्टर तोहार हिस्सा तैयार बा, ल्या और ऐश करा I’- सरदार ने आगे आकर इंस्पेक्टर को एक पैकेट दिया I दोनों ने मुस्कराकर हाथ मिलाया I जाते-जाते सरदार ने एक कान्स्टेबिल के पैरो में गोली मार दी I कान्स्टेबिल गिर पड़ा I डाकू चले गए I कुछ देर बाद उस राह से दो राहगीर गुजरे I इंस्पेक्टर ने उन्हें गोली मार…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 2, 2015 at 2:30pm — 21 Comments
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