Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 26, 2012 at 7:00am — 20 Comments
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 12, 2012 at 8:00pm — 13 Comments
(प्रस्तुत पंक्तियों को उल्लाला छंद में लिखने का प्रयास किया गया है,इसके प्रत्येक चरण में 13-13मात्रायें होती हैं।लघु-गुरू का कोई विशेष नियम नहीं होता,किन्तु 11वीं मात्रा लघु होनी चाहिए)
भूखी आंतों के लिए,
सेंसेक्स बस बवाल है।
तीसमार खां कह रहे,
मार्केट में उछाल है॥
जेब नहीं कौड़ी फुटी,
जनता सब बेहाल है।
भारत विकसित हो रहा,
वाह!बढ़िया कमाल है॥
कर्ज बोझ सिर पे लदा,
कृषक हुआ बदहाल है।
हम विकसित हो जायगें,
यह कोरा भौकाल…
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 10, 2012 at 9:30pm — 12 Comments
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