स्नेही मित्रों, सुना है, 8 मई को मदर्स ' डे मनाया जाता है...यानि कि साल का एक दिन माँ के नाम...इस की शुरुआत कब और क्यूँ हुई, ये मुझे नहीं पता , न जानना चाहती हूँ..बस अचम्भा इस बात का होता है कि मदर्स ' डे की शुरुआत करने वाले ने यह नहीं बताया कि साल के बाकी दिनों में माँ के लिए कौन से जज़्बात रखने हैं...
अगर किसी और दिन माँ को याद करना हो या अपने उद्गार व्यक्त करने हों तो कही उस के लिए कोई सज़ा तो निर्धारित नहीं है...फिलहाल मुझे…
Added by Sarita Sinha on April 27, 2012 at 8:00pm — 18 Comments
हम तो बादल हैं ...........
बरसे कभी नहीं बरसे.....
सफ़र किया था शुरू बेपनाह दरिया से,
झूमे खेले लहर की गोदी में,
जिन के सीने में मोती और तन पे चाँदी थी,
तभी पड़ी जो वहां तेज़ किरन सूरज…
ContinueAdded by Sarita Sinha on April 19, 2012 at 5:00pm — 15 Comments
Added by Sarita Sinha on April 12, 2012 at 10:00am — 24 Comments
किसका किसका हिसाब बाक़ी है,
जाने क्या क्या अज़ाब बाक़ी है......
नब्ज़ देखो अभी भी चलती है,
हसरते टूट गयीं जान अब भी बाक़ी है.....
दिलों के ज़ख्म हैं आँखों की राह रिसते हैं,
तुम समझते हो कि आँसू हमारे बाक़ी हैं.....
सुनो एक बात पूछनी थी, मगर रहने दो,
तुम को क्या पता एहसास कहाँ बाक़ी है.....
मेरे गुनाहों की…
ContinueAdded by Sarita Sinha on April 11, 2012 at 6:11pm — 15 Comments
Added by Sarita Sinha on April 6, 2012 at 2:30pm — 9 Comments
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