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Rahila's Blog – April 2016 Archive (2)

भगौड़े (लघुकथा) राहिला

मरणोपरांत मृतक युवक के कर्मो का हिसाब किताब करने की कार्यवाही शुरू हो चुकी थी। दूसरी दुनिया का दरोगा लेखा-जोखा देखने वाले से पूछताछ कर रहा था ।

"इस लड़के की उम्र विधाता ने कम लिखी थी क्या? "

"नहीं दरोगा साहब! उम्र तो खूब लिखी थी। लेकिन इसने खुदकुशी कर ली ।"

"क्यूं? "

"इसका इम्तेहान चल रहा था, पर ये बीच में ही भाग निकला। "

"क्यूं क्या इसने जीने की कला नहीं सीखी? "

"नहीं, ये सतयुग के प्राणी नहीं, कलयुग की खुदपरस्त पीढ़ी है।ना सब्र,ना मर्यादा, ना अनुशासन और ना…

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Added by Rahila on April 25, 2016 at 7:30pm — 49 Comments

गड़ाधन (लघुकथा )राहिला

"गुरूदेव महाराज!बड़े ही सही समय पर आगमन हुआ आपका।अब आप ही समझाओ इनको।"कहते-कहते रमा की आँखों से आँसू छलक पड़े।

"चिंता मत करो बेटी! मुझे जैसे ही रामदयाल के बीमार होने की सूचना मिली,मैं तुरंत ही आ गया।"

परिवार के धर्म गुरू ने रमा को तसल्ली दी।रमा उन्हें पति के कमरे में ले गई ।जहां बीमारी से कमजोर रामदयाल अचानक गुरूदेव को देखकर भावुक हो गया। रूंधे हुये गले से अभिनंदन कर,बड़ी मुश्किल से उठ कर बैठा ।

"ये क्या हाल बना रखा है रामू?"

"अब आप से क्या छुपा महाराज!बड़े भाईयों ने गद्दारी… Continue

Added by Rahila on April 2, 2016 at 8:00pm — 15 Comments

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