नीर के बापू ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो एक ही तो रोजी रोटी का सहारा है ये बकरी उसे भी बेचना चाहते हो गोमती ने कलुवे के हाथ से रस्सी छुडाते हुए कहा कलुआ गुस्से में लगभग चीखता हुआ बोला बकरी तो फिर आ जायेगी भागवान देश का इतना बड़ा मंत्री एक गरीब के झोंपड़े में रोज थोड़े ही आता है आएगा तो चार आदमियों के खातिरदारी का बंदोबस्त तो करना ही पड़े है न तभी तो हमारा भी कुछ उद्धार हो पायेगा । अगले दिन सुबह से कलुवे के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे मंत्री जी का स्वागत सजी धजी…
ContinueAdded by rajesh kumari on April 18, 2013 at 12:19pm — 13 Comments
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
मन की प्रणय पाती साजन को मिली आज
हुआ यकायक मुझे अंदेशा
भेजा उसने कोई संदेशा
नेह नीर बिना शुष्क हुई थी
देह प्रीत बिना रुष्ट हुई थी
लिपट पवन संग हिय तरु की डारि हिली आज
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
आह्लादित मन लहका- लहका
प्रीत उपवन है महका- महका
मिले गले जब भ्रमर औ कलिका
हया दीप संग जलती अलिका
विरहाग्नि से हुई विक्षत चुनरिया…
ContinueAdded by rajesh kumari on April 15, 2013 at 11:54am — 33 Comments
हिंदी भाषा के शिंगार रस छंद अलंकार
नव शब्द माल लेके गीत तो बनाइए
संधि प्रत्यय समास, हों मुहावरे भी ख़ास
भाव रंगों में डुबो के कविता रचाइए
गीत या निबन्ध हो नवल भाव सुगंध हो
साहित्य सरोवर में डुबकी लगाइए
विद्या वरदान मिले लेखनी को मान मिले
अपनी राष्ट्र भाषा का मान तो बढाइए
भाव गहन बढे जो ध्यान नदिया चढ़े जो
लेखनी की नाव लेके पार कर जाइये
ह्रदय में प्रकाश हो मुट्ठी भरा आकाश…
ContinueAdded by rajesh kumari on April 12, 2013 at 12:22pm — 16 Comments
कमला बाई को सुबह सुबह दरवाजे पर बुरी हालत में देख रीना का माथा ठनका , एक्सीडेंट के कारण हास्पिटल में भर्ती हुई कल ही तो एक हफ्ते बाद वापस लौटी है ।सर पर पट्टी गले की हँसली टूटने पर पीछे हाथ कर बाँधी हुई पूरी छाती पर पट्टी ,आँखे सूजी हुई देखते ही फफक- फफक कर रो पड़ी कमला रीना के बहुत बार पूछने पर बताया "मेमसाब मेरी पट्टी देखकर मेरे दो साल के बच्चे ने जो…
ContinueAdded by rajesh kumari on April 3, 2013 at 10:08am — 19 Comments
फूलों को तू सूंघ मत, आज अप्रैल फूल|
हो सकता है फूल में, हो मिर्ची की धूल||
तू देख वतन पश्चिमी, कितने होते…
ContinueAdded by rajesh kumari on April 1, 2013 at 3:00pm — 19 Comments
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