मुझे लिखना है
Added by ajay sharma on April 25, 2013 at 10:00pm — 4 Comments
सदियों रहा गुलाम है ये आम आदमी
Added by ajay sharma on April 25, 2013 at 9:30pm — 8 Comments
प्यासा था मैं कुछ बूंदों का, कब सागर भर पीना चाहा,
बस चाहा था दो पल जीना, कब जीवन भर जीना चाहा,
जग को होगा स्वीकार नहीं, ये अपना मिलन मैं शंकित था,
रिश्तों सा कुछ माँगेगा ये प्रमाण हमसे मैं परिचित था,
पर था मुझको विश्वास कभी छोड़ेगा ये जड़ता अपनी,
लेकिन निकला ये क्रूर बहुत दिखला दी निष्ठुरता अपनी,
तुम क्यों विकल्प हो गयी मेरा तुमको ही क्यों चुनना चाहा,
भावुक मन का मैं बोझ उठा कब तक बोलो चलता रहता,
जो गरल बन गया जीवन रस कब तक बोलो पीता…
ContinueAdded by ajay sharma on April 17, 2013 at 11:30pm — 7 Comments
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