For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Samar kabeer's Blog – April 2015 Archive (7)

ग़ज़ल :- कहीं थे बाज़ू कहीं बदन था

बह्र :- फ़ऊल फ़ैलुन फ़ऊल फ़ैलुन



कहीं थे बाज़ू कहीं बदन था

हिजाब आलूद पैरहन था



निगाह ख़ंजर बनी हुई थी

नज़र हटाई तो गुलबदन था



कहाँ तलक उससे बच के चलते

वो डाली डाली चमन चमन था



समझ के गुलशन की बात की थी

मुराद मेरी तिरा बदन था



सालीक़ा लाओगे वो कहाँ से

सुना है फ़रहाद कोहकन था



हर एक मंज़िल पे देखा जाकर

वही सितारा वही गगन था



भला सा लगता था उन दिनों में

तिरी अदा में जो बांकपन था



अभी "समर" की… Continue

Added by Samar kabeer on April 29, 2015 at 10:43am — 29 Comments

ग़ज़ल :-एक चहरे में दूसरा क्या है

बह्र :- फ़ाईलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन



आईनागर ज़रा बता क्या है

एक चहरे में दूसरा क्या है



आग गुलज़ार कैसे बनती है

देखना है तो सोचता क्या है



किस लिये हम से पूछता है नदीम

तू नहीं जानता,हुवा क्या है



क्या छुपा कर रखा है सीने में

और होटों से बोलता क्या है



दिल को छू जाए तो ये जादू है

वरना आवाज़ में धरा क्या है



आईने की तरह चमकती है

हम बताऐं तुम्हें वफ़ा क्या है



दोनों बर्बाद हो गए देखो

दुश्मनी के लिये… Continue

Added by Samar kabeer on April 20, 2015 at 10:30am — 28 Comments

नसरी नज़्म :- "शाईरी"

शाईरी

सिर्फ़ ग़ज़ल का नाम नहीं

इसके अनेक रूप हैं

कहीं साया कहीं धूप है

शाईरी

सुक़रात ने की,मीरा ने की

मज़दूर ने की,धनवान ने की

इसमें क़ाफ़िया लाज़िम नहीं

इसमे बह्र भी लाज़िम नहीं

आप जो ख़ूबसूरत बाते करते हैं

वो शाईरी है

शाईरी नज़ाकत का नाम है

इससे सबको काम है

शाईरी के लिये लाज़िम है अहसास

दर्द भरा दिल,जैसे बिस्मिल

सब शाईर के हैं

शाईर सबका होता है

जैसे भगवान सब का होता है

शाईरी सिर्फ़ ग़ज़ल का नाम… Continue

Added by Samar kabeer on April 17, 2015 at 11:58pm — 12 Comments

नसरी नज़्म :- "शहीद"

उस शहीद का तसव्वुर

ज़ह्न से नहीं निकलता

शर्म से सर झुका हुवा है

दर्द दिल में छुपा हुवा है

इस तसव्वुर ने मेरे रोज़-ओ- शब

मेरे अपने नहीं रहने दिये

मैं उसी का होकर रह गया हूँ

कहीं खो गया हूँ

उसका रुत्बा मुझे झंझोड़ता है

सूखे ज़ख़्मों को फिर उधेड़ता है

मेरे अंदर सदा लगाता है

मेरे अहसास को जगाता है

मुझ से कोई सवाल है उसका

इश्क़ भी ला ज़वाल है उसका

मुझसे इतना ही चाहता है वो

उसकी क़ुर्बानी को मैं आम करूँ

और जिहालत का क़त्ल-ए-आम… Continue

Added by Samar kabeer on April 15, 2015 at 11:28am — 13 Comments

ग़ज़ल :- जैसे.मिरे अंदर से ख़ुदा बोल रहा है

बह्र :- मफ़ऊल मफ़ाईल मफ़ाईल फ़ऊलुन





सच बोल रहा हूँ तो ये महसूस हुवा है

जैसे मिरे अंदर से ख़ुदा बोल रहा है



समतों क तअय्युन है न मंज़िल का पता है

इंसान मशीनों की तरह भाग रहा है



ठहरे हुए पानी पे कोई नाव रुकी है

इक गीत फ़ज़ाओं में अभी गूंज रहा है



इस हद पे हैं तहज़ीब की मिटती हुई क़दरें

रिश्तों को ज़मीनों की तरह बाँट दिया है



जिस दिन से दरिन्दों की सिफ़त आई है इसमें

इंसान ख़ुद अपना ही लहू चाट रहा है



फैले हुए हाथों पे… Continue

Added by Samar kabeer on April 12, 2015 at 10:52am — 16 Comments

ग़ज़ल :- तिरा दिल है कि पत्थर हँस रहा है

तिरा दिल है कि पत्थर हँस रहा है

ख़ुद अपना घर जलाकर हँस रहा है



बड़े लोगों की बातें भी बड़ी हैं

लगा,जैसे समन्दर हँस रहा है



सलीक़ा मन्द रो देते हैं जिस पर

तू ऐसी बात सुन कर हँस रहा है



बुराई का बुरा अंजाम होगा

फ़क़ीरों पर तुअंगर हँस रहा है



नहीं है ख़ुश कोई आबाद होकर

कोई बर्बाद होकर हँस रहा है



समझ लेना क़यामत आ गई है

अगर देखो,सुख़न्वर हँस रहा है



मिरी बर्बादियों पर ख़ुश है इतना

वो दिल पर हाथ रखकर हँस रहा… Continue

Added by Samar kabeer on April 7, 2015 at 12:00am — 30 Comments

ग़ज़ल :-सभी कहते हैं अच्छा बोलता है

बह्र:- फ़ऊलुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन



सभी कहते हैं अच्छा बोलता है

जो हम बोलेंगे तोता बोलता है



हमारा काम क्या उन महफ़िलों में

जहाँ दौलत का नश्शा बोलता है



कोई लोरी सुनाओ,गीत गाओ

अधूरा एक सपना बोलता है



ज़रा महकी हुई ज़ुल्फों की ठंडक

कई रातों का जागा बोलता है



मैं सच्चाई की बातें कर रहा हूँ

समझते हैं दिवाना बोलता है



तिरी शक्ति है अपरम पार मौला

तिरे आगे तो गूंगा बोलता है



छुपाए से नहीं छुपती… Continue

Added by Samar kabeer on April 3, 2015 at 10:32pm — 40 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service