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April 2025 Blog Posts (2)

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर

 

होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।

उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर ।।

भाग्य भरोसे कब भला, करवट ले तकदीर ।

बिना करम के जिंदगी, जैसे लगे फकीर ।।

बिना कर्म इंसान की, बदली कब तकदीर ।

श्रम बदले संसार में, जीने की तस्वीर ।।

चाहो जो संसार में, मन वांछित परिणाम ।

नजर निशाने पर करे, संभव हर संधान ।।

भाग्य भरोसे कब हुआ, जीवन का उद्धार ।

चाबी श्रम की खोलती, किस्मत का हर द्वार ।।

बिछा हुआ हर हाथ में, रेखाओं…

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Added by Sushil Sarna on April 11, 2025 at 2:48pm — No Comments


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एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है  

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२१२२    २१२२     २१२२ 

एक इच्छा मन के कोने पल रही है

पर वो चुप है, आज तक निश्चल रही है

 

एक चुप्पी है जो मुझको सालती है

एक चुप्पी है जो अब तक खल रही है

 

बूँद जो बारिश में टपकी सर पे तेरे    

सच यही है बूंद कल बादल रही है

 

इक…

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Added by गिरिराज भंडारी on April 7, 2025 at 7:00am — No Comments

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'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
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गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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