For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

May 2015 Blog Posts (226)


सदस्य कार्यकारिणी
किसने कहा प्रेम अंधा होता है -- अतुकांत ( गिरिराज भंडारी )

किसने कहा प्रेम अंधा होता है

****************************

किसने कहा प्रेम अंधा होता है

रहा होगा उसी का , जिसने कहा

मेरा तो नहीं है

देखता है सब कुछ

वो महसूस भी कर सकता है

जो दिखाई नहीं देता उसे भी

वो जानता है अपने प्रिय की अच्छाइयाँ और

बुराइयाँ भी

वो ये भी जानता है कि ,

उसका प्रेम,  पूर्ण है ,

बह रहा है वो तेज़ पहाड़ी नदी के जैसे , अबाध

साथ मे बह रहे हैं ,

डूब उतर रहे हैं साथ साथ

व्यर्थ की…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on May 1, 2015 at 12:20pm — 19 Comments

गुज़रा ज़माना

वो ज़माना ही कुछ और था

हौसलों और उम्मीदों का दौर था !

आसमां के सितारे भी पास नज़र आते थे!

हर हद से गुज़र जाने का दौर था!!

माना कि मुफलिसी भरी थी वो ज़िन्दगी!

उस ज़िन्दगी में जीने का, मज़ा ही कुछ और था!!

नींद आती नही महलों के नर्म गद्दों पर!

झोपडी के चीथड़ों पर सोने का, मज़ा ही कुछ और था!!

न जाने क्यों हर वो शख़्स ख़फ़ा ख़फ़ा सा नज़र आता है!

मुस्कुराकर कर जिनसे गले लग जाने का,मज़ा ही कुछ और था!!

अब तो दिल की बातें दिल…

Continue

Added by Mala Jha on May 1, 2015 at 11:56am — 14 Comments

है तमस भरी कि हवस भरी- ( एक तरही ग़ज़ल ) - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

11212     11212     11212      11212

******************************************

नई ताब दे  नई सोच दे  जो पुरानी है   वो निकाल दे

रहे रौशनी  बड़ी देर तक  वो दिया तू अब यहाँ बाल दे

***

है तमस भरी  कि हवस भरी नहीं कट रही ये जो रात है

तू ही चाँद है तू ही सूर्य भी  मेरी रात अब तो उजाल दे

***

जो नहीं रहे वो तो फूल थे ये जो बच रहे वो तो खार हैं

मेरे  पाँव भी  हुए  नग्न हैं  मेरी  राह अब  तू बुहार दे

***

न तो पीर दे  न चुभन ही दे मेरे पाँव में  ये…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 1, 2015 at 10:46am — 10 Comments

सडक एक नदी है। बस स्टैण्ड एक घाट।

 

 सडक एक नदी है।

बस स्टैण्ड एक घाट।

इस नदी मे आदमी बहते हैं। सुबह से शाम तक। शाम से सुबह तक। रात के वक्त यह धीरे धीरे बहती है। और देर रात गये लगभग रुकी रुकी बहती है। पर सुबह से यह अपनी रवानी पे रहती है। चिलकती धूप और भरी बरसात मे भी बहती रहती है । भले यह धीरे धीरे बहे। पर बहती अनवरत रहती है।



सडक एक नदी है इस नदी मे इन्सान बहते हैं। सुबह से शाम बहते हैं। जैसा कि अभी बह रहे हैं।

बहुत से लोग अपने घरों से इस नदी मे कूद जाते हैं। और बहते हुये पार उतर जाते हैं। कुछ लोग…

Continue

Added by MUKESH SRIVASTAVA on May 1, 2015 at 10:27am — 8 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
ग़ज़ल -- खिड़कियों से झाँकता क्या है ( गिरिराज भंडारी )

1222     1222      1222      1222 

अगर दिल साफ है, आ सामने, कह मुद्दआ क्या है

खुला दर है तो फिर तू खिड़कियों से झाँकता क्या है

 

यहाँ तू थाम के बैठा है क्यूँ अजदाद के क़िस्से

बढ़ आगे छीन ले हक़ , गिड़गिड़ा के मांगता क्या है



अगर भीगे बदन के शेर पे इर्शाद कहते हो

तो फिर बारिश में मै भी भीग जाऊँ तो बुरा क्या है

 

जो पुरसिश को छिपाये हाथ आयें हैं उन्हें कह दो

मुझे निश्तर न समझाये , कहे ना उस्तरा क्या है

 

दुआयें जब…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on May 1, 2015 at 10:00am — 22 Comments

सामान्य ज्ञान का प्रश्न---डॉo विजय शंकर

व्यवस्था का मान करें ,

उस से ज्यादा जो व्यवस्था में हैं ,

उनका सम्मान करें।

वे कौन हैं , कहाँ से आये हैं ,

पूछ कर न अपना

अपमान करें।

जो व्यवस्था में हैं ,

वे माननीय , आदरणीय हैं ,

पूज्यनीय , वन्दनीय हैं ,

ओजस्वी ,प्रकाशमान

देवतास्वरूप हैं ,

उनकें ज्ञान पर , उनकें

सामान्य ज्ञान पर प्रश्न न करें ,

वे स्वयं सामान्य ज्ञान का प्रश्न हैं,

बड़ी परीक्षाओं में सामान्य ज्ञान

के प्रश्न पत्रों में पूछे जाते हैं ,

उन पर जो सही… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on May 1, 2015 at 9:42am — 14 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
7 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
21 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
21 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service