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Rash Bihari Ravi's Blog – May 2010 Archive (13)

क्यों मुझे सताती हो यैसे एक झलक दिखलाकर ,

क्यों मुझे सताती हो यैसे एक झलक दिखलाकर ,
क्या मिलता हैं तुझको यैसे में मुझे तरपाकर ,
जानती हो तुझको ही चाहू रखा हु दिल में बसाकर ,
सातों जनम का साथ हैं अपना साबित करू अपनाकर ,
क्यों मुझे सताती हो यैसे एक झलक दिखलाकर ,
मेरी नेह के नाता जानम तेरी सुन्दर काया नहीं ,
जनम जनम का प्रीत का खेल तब मिले हम यही ,
एक बार तू पास तो आओ मुझे समझो अंग लगाकर ,
बात मेरी मनो मुझको जानो देखो न नजर मिलकर ,
क्यों मुझे सताती हो यैसे एक झलक दिखलाकर ,

Added by Rash Bihari Ravi on May 28, 2010 at 2:30pm — 3 Comments

मुझे गर्व हैं की मैं पिता हु ,

हा मैं पिता हु ,
और मुझे गर्व हैं ,
की मैं पिता हु ,
माँ को दुःख था ,
की मैं पिता नहीं हु ,
घर वाले परेशान रहते थे ,
की मैं पिता नहीं हु ,
आज मैं पिता हु ,
सब खुस हैं ,
माँ रहती तो ओ भी ,
खुश होती ,
मेरी पत्नी कहती हैं ,
की मैं पिता हु ,
कसम से मैं झूठ नहीं बोलता ,
मैं पिता हु ,
अपने दो बच्चो का पिता हु ,

Added by Rash Bihari Ravi on May 25, 2010 at 1:43pm — 6 Comments

आज सुबह मैंगलोर में जो बिमान दुर्घटना हुआ,

आज सुबह मैंगलोर में जो बिमान दुर्घटना हुआ, ओ टी भी पर देख के बड़ा दुःख हुआ जो लोग गुजर गए भगवन उनके आत्मा के सान्ती दे ,

Added by Rash Bihari Ravi on May 22, 2010 at 3:22pm — 4 Comments

गुरु को फासी कब चढाओगे ,

ओ दिल्ली वालो ,

हमें इतना बताओ ,

हिन्दुस्ता पे जो खाज परे हैं ,

उसको कब मिटाओगे ,

अफजल गुरु को ,

फासी कब चढाओगे ,

हिन्दुस्ता पे बहुत ऐसे खाज हैं ,

उसको मिटाना जरुरी आज हैं ,

मेहमान बनाके कब तक ,

पैसा लुटाओगे ,

अफजल गुरु को ,

फासी कब चढाओगे ,

मेरी नहीं ये ,

देश की मांग हैं ,

आपको तो भोट दीखता ,

हमें हिंदुस्तान हैं ,

हिंद में ख़ुशी का ,

दिन कब लावोगे ,

अफजल गुरु को ,

फासी कब चढाओगे ,

हिन्दू ,… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 20, 2010 at 2:10pm — 5 Comments

माओबादी के झंडा तले फुकने मत दो हिंदुस्तान ,

माओबादी के झंडा तले फुकने मत दो हिंदुस्तान ,

जनता माफ़ नहीं करेगी बोलेगी शैतान ,

जनता के नाम पर हिंदुस्तान को जला रहे हो ,

बिदेसी पैसा ले ले कर मौज मस्ती मन रहे हो ,

कब तक डरेगी जनता जिसे तू डरा रहे हो ,

जिस दिन डरना बंद करेगी हो जाओगे परेशान ,

माओबादी के झंडा तले फुकने मत दो हिंदुस्तान ,

झारखण्ड , छत्तीसगढ़ बंगाल में हाहाकार मचाये ,

बिहार में भी तुमने करोरो का तेल जलाये ,

मारते हो आम आदमी को जिसदिन ओ जागेगा ,

नजर नहीं आओगे मिट जायेगा नमो निसान… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 20, 2010 at 1:41pm — 4 Comments

आत्म हत्या के नयाब तरीका ,

आत्म हत्या के नयाब तरीका ,

कोई केश नहीं बनेगा ,

पकडे जाने पर मुकदमा नहीं चलेगा ,

अब तो आप जानना चाहेंगे ,

आत्म हत्या के नयाब तरीका ,

दोस्ती से सुरु होती हैं,

आन बान शान तक जाती हैं ,

कभी जान कर ,

तो कभी अनजाने में ,

लोग अपनाते हैं ,

आत्म हत्या के नयाब तरीका ,

आइये आपकी इंतजार ख़तम करे ,

तो सबसे पाहिले ,

तम्बाकू सेवन करे ,

इससे काम न बने तो ,

शराब को अपनाये ,

साथ में सिगरेट या ,

सिंगर जलाये ,

और जल्दी हो तो… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 13, 2010 at 5:13pm — 8 Comments

ओपन बुक्स ऑनलाइन पे आपका स्वागत हैं ,

ओपन बुक्स ऑनलाइन पे आपका स्वागत हैं ,

ओपन बुक्स ऑनलाइन तो आप का अपना घर है ,

सुबह से साम तक रहता आपका इंतजार हैं ,

ओपन बुक्स ऑनलाइन पे आपका स्वागत हैं ,

गजले योगराज प्रभाकर, आशा पाण्डेय, अलीम के ,

इनका भी जबाब कहा भाई विवेक, सतीश मपतपुरी हैं ,

आइये ओपन बुक्स ऑनलाइन पे आपका स्वागत हैं ,

कविता पे राज करे बहन रजनी छाबरा ,

संग राजू की रचना बिरेश, अर्पण की मस्ती हैं,

आइये ओपन बुक्स ऑनलाइन पे आपका स्वागत हैं ,

लेख रतनेश और अभिषेक , अमरेंदर… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 13, 2010 at 3:46pm — 4 Comments

कास मैं होता कुत्ता

कास मैं होता कुत्ता अयरा गैरा नहीं एलसिसियन ,

अयरे गैरे रोड पर मरे परे मिलते हैं ,

खाने के लिए रोटी नहीं मिलती ओ भी सुखी .

दूध मलाई मांस का टुकरा तो खाता,

अगर होता मैं एलसिसियन कुत्ता ,

चलने के लिए सायकल नहीं मिलती ओ भी टुट्टी,

कर के पिछले सिट पर आराम से जाता ,

अगर होता मैं एलसिसियन कुत्ता ,

सोने के लिए टाट नहीं मिलती ओ भी फट्टी,

मखमली गद्दे पर आराम से सोता ,

अगर होता मैं एलसिसियन कुत्ता ,

ये प्रभु इ गलती को फिर मत दुहराना ,

अगले जनम… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 10, 2010 at 3:33pm — 4 Comments

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

आपने जो दिल मुझको दिया ,

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

आपही से दिन मेरा होता हैं सुरु ,

आपही साम ढले रात होती है सुरु ,

रात हुई सपनों में दरस दिया ,

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

कब तलक यैसे मुझे तुम सताओगे ,

चुपके छुपके मिलने कब तक बुलाओगे ,

आपको ही सनम दिल ये दिया ,

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

आपका मैं हुआ ये अब जानिए ,

आपही मेरे पिया ओ हजूर मानिये ,

ओ पिया ओ पिया सुक्रिया,… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 8, 2010 at 2:00pm — 5 Comments

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,

मेरा ये दिल तुमपे फ़िदा हैं ,

तेरी अदा मुझको तो भाए ,

तेरी सूरत मन में सजाये ,

तुही तो अब मेरा खुदा हैं ,

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,



तेरे लिए ही जीना ,

तेरे लिए ही मरना ,

जब तक हैं जीवन ,

तुमसे ही प्यार करना ,

प्यार तू करले प्यार ,

प्यार तू करले यार ,

कातिल बड़ी तेरी अदा हैं ,

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,



मैं तो ये कहना चाहू ,

बात मेरी मान जा ,

दिल मेरा क्या चाहे ,

ये… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 7, 2010 at 2:47pm — 3 Comments

कानून का चक्कर ,

कानून का चक्कर ,

गुनाहगारो के लिए वरदान ,

बेगुनाहों के लिए अभिशाप ,

कारन तारीख पर तारीख ,

बेगुनाह हो जाते हैं फक्कर ,

कानून का चक्कर ,

अब देखिये कसाब को ,

जो बना एक सौ से ज्यादा ,

के गुनाहगार ,

उसको जो भी हो सजा ,

ओ उठाएगा कानून का फायदा ,

करेगा अपील ,

उसे मिल जायेगा कुछ दिन ,

यैसे मामलो में होगा अक्सर ,

कानून का चक्कर ,

सांसदों आप देश हित में ,

कोई कानून बनावो ,

साबुत हो तो येसो को ,

सरे आम फाशी पर चढाओ… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 6, 2010 at 1:10pm — 3 Comments

मेरी बातो को जरा समझो ,

मेरी बातो को जरा समझो ,

दर्द भी है यह्सस भी हैं ,

दूर भी हैं ये पास भी हैं ,

मन की ना सुननेवाला ,

मन की ये बिस्वास भी हैं ,

जो मन में आये ओ कह दो ,

मेरी बातो को जरा समझो ,

चाहत इसको कह नहीं सकते ,

फिर भी तुम बिन रह नहीं सकते ,

हस्ती हो तो हसना चाहू ,

रोती हो तो घबराता हु ,

पास मैं चाहू दूर जाती हो ,

मेरी बातो को जरा समझो ,

जाती बाद की बेरी हैं ,

जन चेतना में देरी हैं ,

सोचता हु क्या करू मैं ,

लडू या भाग परु मैं… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 5, 2010 at 2:18pm — 3 Comments

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,

ना सार की जरुरत हैं ना बिचार के जरुरत हैं ,

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,



सोच हो समझ हो इसपर कोई ध्यान ना दे ,

अट पटा लिखे समाज को कुछ ज्ञान ना दे ,

अब लोग भी खोजने लागे कुछ येसा कुछ वैसा ,

समाज और संसकृति से ना लगाव हो जैसा ,

बस मन बहलाने वाला सब्द की जरुरत हैं ,

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,



अब रामायण की बाते सुनाने के वास्ते ,

हर कोई से बिनती की चले आना साम को ,

पर बिना… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 3, 2010 at 3:00pm — 5 Comments

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