महाराणा प्रताप की जयंती पर समर्पित -कुंडलिया छंद
रचते है इतिहास ही,राणा जैसे वीर,
माँ वसुधा के लाल ये,ये ही असली पीर
ये ही असली पीर, युद्ध से जिनका नाता
दुश्मन को दे…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 31, 2014 at 11:00am — 14 Comments
गांधी जी की कल्पना, हो सकती साकार,
राम राज्य इस देश में, ले सकता आकार |
ले सकता आकार, करे सब मिल तैयारी
मन में हो संकल्प,नहीं फिर मुश्किल भारी
लक्ष्मण कर विश्वास,चले अब ऐसी आंधी
भ्रष्ट तंत्र हो नष्ट, तभी खुश होंगे गांधी ||…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 23, 2014 at 10:00am — 15 Comments
आँचल में ममता लिए, भरा ह्रदय में प्यार
क्या कोई भी दे सका,माँ सा प्यार दुलार
माँ सा प्यार दुलार, जिसे पाने को तरसे,
सर पर माँ जब हाथ,रखे तो प्रभु भी हरषे
कह लक्ष्मण मत टोक, लगाती टीका काजल
जीवन हो आबाद, मिले जब माँ का आँचल |
(2)
दोहा देखो छंद में, सबका है सरताज,
सभी शब्द हो शिल्प मय, तभी सजेगी साज
तभी सजेगी साज, छंद को गाकर देखे
मन में भरते भाव, सूर तुलसी के लेखे
लक्ष्मण ले आनंद, कबीर रचे वह…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 14, 2014 at 10:00am — 14 Comments
जयकारी/चोपई छंद (१५ मात्राओं के इस छंद में चरणान्त गुरु लघु से)
राष्ट्र सृजन में जिनका योग, उनको कहे पुरोधा लोग
जनता का मिलता सहयोग, खुशहाली का होता योग |
कानूनन जन हित का भान, सफल प्रशासक उसको मान
योग्य प्रशासक का सम्मान, तभी देश का हो उत्थान ||
जड़ चेतन का जिसको भान, उसमे ही आध्यात्मिक ज्ञान
परम पिता ने डाले प्राण, इसके मिलते बहुत प्रमाण |
जिसमे हो सेवा का भाव, मन में वह रखता सद्भाव
जिसमे भी जिज्ञासा जान, गुरुवर का वह…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 3, 2014 at 10:00am — 12 Comments
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