1222 1222 1222 1222
---------------------------------------
मुहब्बत है कभी जिसने मुझे कहला दिया साहिब
मगर फिर घाव उसने ही बहुत गहरा दिया साहिब
जरूरत ही नहीं होती मुहब्बत में व़फाओं की
के बच्चों की तरह उसने मुझे बहला दिया साहिब
सड़क पर भूख से बेचैन माँ आँसू बहाती है
निवाला बेटे को जिसने ,कभी पहला दिया साहिब
मुहब्बत मिट नहीं पायी दीवारों में चुनी फिर भी
रक़ीबों ने जमाने से बहुत पहरा दिया साहिब
बहुत छेड़ा है दुनिया ने खुदा की पाक…
Added by umesh katara on May 20, 2015 at 4:47pm — 10 Comments
2122 2122 2122
--------------------------------------------
मर्ज बढ़ता जा रहा अब क्या रखा है
बेअसर होती दवा अब क्या रखा है
ढ़ूँढ ले अब हम सफर कोई नया तू
मुस्करादे कब कज़ा अब क्या रखा है
रच रहे हम साजिशें इक दूसरे को
साथ चलने में बता अब क्या रखा है
साथ आना जाना भी क्यों महफिलों में
बन्द कर ये सिलसिला अब क्या रखा है
शहर पूरा है, मगर आया नहीं तू
बिन मिले ही मैं चला अब क्या रखा है
उमेश कटारा
मौलिक व…
Added by umesh katara on May 9, 2015 at 9:52am — 13 Comments
पग पग तेरा मान करूँ
अपमान मेरा मत कर तू भी
एक दिन तो सबको मरना है
अभिमान जरा मत कर तू भी
जीवन की आँख मिचौली में
ठहरूँ पल भर मैं पलक तले
क्या है भरोसा कल सुबह तक
कौन बचे और कौन जले
कौन मिलेगा बीच सफर में
साथ मेरे ही चलता जा
आयू भी आधी निकल गयी
हाथ मले तो मलता जा
इक दूजे को देते रहें है
जाने क्यों हम गम दोनों
रेल की पटरी जैसे चलती
साथ चले हैं हम दोनों
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित
Added by umesh katara on May 7, 2015 at 7:20am — 8 Comments
बन्द कर दो सितम अब खुदा के लिये
जुल्म कितना करोगे अना के लिये
कत्ल करदे मगर यूँ न बदनाम कर
हाथ उठने लगे हैं दुआ के लिये
इस कदर मुफलिसी दे न मेरे खुदा
पास पैसे न हों जब दवा के लिये
चींखती रह गयी बेगुनाही मेरी
है गुनाह भी जरूरी सजा के लिये
बाद जाने के तेरे बचा कुछ नहीं
जी रहा हूँ फ़कत मैं क़जा के लिये
पत्थरों के शहर में हुआ हादसा
मर गया इश्क देखो व़फा के लिये
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित…
Added by umesh katara on May 3, 2015 at 9:00am — 10 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |