Added by Mohammed Arif on May 27, 2017 at 10:40am — 7 Comments
Added by Mohammed Arif on May 21, 2017 at 7:54am — 15 Comments
सूरज शोले छोड़ता ,पशु भी ढूँढे छाँव ।
दर खिड़की सब बंद है ,सन्नाटे में गाँव ।।
भीषण गरमी पड़ रही,पशु -मानव हैरान ।
भू जल भी घटने लगा, साँसत में है जान ।।
पारा बढ़ता जा रहा, सूख रहे तालाब ।
देखो गाँव महानगर , हालत हुई खराब ।।
पत्ते झुलसे पेड़ पर ,नीम बबूल उदास ।
पशु किसान सबको लगी, पानी की अब आस ।।
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मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by Mohammed Arif on May 11, 2017 at 8:30am — 14 Comments
बह्र-22/22/22
सूखे-सूखे जंगल अब,
रूठे-रूठे बादल अब ।
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वादे, नारे सब झूठे,
बदले-बदले हैं दल अब ।
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देखो किसकी साज़िश है,
रिश्ते-नाते घायल अब ।
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बोतल में ऊँचे दामों,
बिकता है गंगा जल अब ।
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ग़रीब के घर भी यारों,
ख़ुशियों वाला हो पल अब ।
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मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by Mohammed Arif on May 7, 2017 at 9:00pm — 13 Comments
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