2122 1212 22
बेअसर हो गईं दवाएँ क्यूँ
काम आईं नहीं दुआएँ क्यूँ
हम ग़लत फ़हमियों में आएँ क्यूँ
दोस्त है वो तो आज़माएँ क्यूँ
आँख तक आँसुओं को लाएँ क्यूँ
ज़ब्त की एहमियत गिराएँ क्यूँ
साँस दर साँस एक ही सरगम
दूसरा गीत गुनगुनाएँ क्यूँ
जिसके सीने में दिल हो पत्थर का
उसकी चौखट पे गिडगिडाएँ क्यूँ
वक्त आने पे जान जाएगा
इश्क़ क्या है उसे बताएँ क्यूँ
हो गईं क्या समाअतें कमज़ोर
कोई सुनता नहीं सदाएँ…
Added by Rahul Dangi Panchal on May 16, 2016 at 12:00am — 12 Comments
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