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Somesh kumar's Blog – May 2018 Archive (3)

आ नहीं पाऊँगा

आ नहीं पाऊँगा फ़ोन काटकर राजबीर कुर्सी पर बैठ गया |हालाँकि समय ऐसा नहीं था की वो बैठे |घर में ढेरों काम बाकी थे और वक्त बहुत कम |मामा जी अभी-अभी कानपुर से आए हैं |ताऊ दो घंटे में पहुँच जाएँगे |मौसी कल ही दीपक के साथ आ चुकी हैं |सभी लोगों के नाश्ते का प्रबंध करना है और हलवाई का अता-पता नहीं है |

रिश्तेदारों के लिए शहर नया है और पड़ोसियों से कोई उम्मीद बेकार |कुल मिलाकर अमित ही था जो उसकी मदद कर सकता था पर अब !

“फ़िक्र ना कर मैं और तेरी भाभी एक रोज़ पहले पहुँच जाएँगे और तेरी…

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Added by somesh kumar on May 28, 2018 at 5:41pm — 2 Comments

दिव्य-कृति(कहानी )

“सर,इस सेम की बेल को खंबे पर लिपटने में मुश्किल आएगी |” मैंने सुरेंदर जी की तरफ़ देखते हुए कहा

“हाँ,मैं सोच रहा था की सामने वाली इमली में कील ठोककर बेल को उधर मोड़ दिया जाए |”

“ पेड़ में कील ! क्या यह पेड़ के लिए जानलेवा नहीं होगा |” मैंने कुछ परेशान होकर पूछा

“लोग पेड़ों में पूरा का पूरा मन्दिर बना देते हैं और तुम कहते हो की कील से पेड़ को नुकसान होगा |” उन्होंने मेरी तरफ़ मुस्कुराते हुए कहा

“सर ,मैंने पेड़ों से मार्ग की बात तो सुनी है पर क्या हमारे देश में कोई ऐसा पेड़…

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Added by somesh kumar on May 25, 2018 at 4:40pm — No Comments

कैंसर इन लव

पन्द्रह दिन पूर्व

निधि का फोन था |मैंने फोन उठाकर कहा की अभी कुछ व्यस्त हूँ |बाद में बात करते हैं |

“दो मिनट में मैं घर पहुँच जाऊँगी |” उसने कुछ बुझी आवाज़ में कहा

“सब ठीक-ठाक है ?” मैंने चिंता जताते हुए कहा |

“बहुत से भूचाल हैं |”

“ससुराल में फिर कुछ हुआ ?”

“वो तो लगा ही रहना है |मुझे लगता है मैं इन लोगों के साथ तालमेल नहीं बिठा सकती |पर कुछ और बताना है पिंकी के बारे में --” निधि का गला भर्राया हुआ था

“क्या हुआ !”

“मुझे लगता है…

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Added by somesh kumar on May 4, 2018 at 11:00am — 1 Comment

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