For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Akhand Gahmari's Blog – May 2014 Archive (6)

गजल दिल जलाते है

1222   1222   1222  1222

कहाँ से अजनबी दिल के हमारे पास आते है/

हमारे दिल में बस कर वो हमारा दिल चुराते है



हमारी‍ जिन्‍दगी भी तो अमानत होे गई जिनकी

वही अब जिन्‍दगी में आग जाने क्‍यों लगाते है





जहर खाना नहीं जीवन बड़ा अनमोल सुन लो तुम



न खाये हम जहर तो क्‍या करें वो दिल जलाते है





हमारे सपनो को अपना कभी वो समझते ले‍किन

न जाने क्‍यों…

Continue

Added by Akhand Gahmari on May 31, 2014 at 10:00pm — 7 Comments

बस जा तू

गीत

मेरे ख्‍वाबो में बस जा तू तेरे हम साथ चल देगे

तेरा सूना पड़ा जीवन प्‍यार मे हम तो बदल देगे



तेरे तो साथ चलने को मेरा यह दिल तड़पता है

वि़ऱह की अाग जो जलती रही उसमें ये सुलगता है

कभी तुम पास आ देखो तुम्‍हे़ हम प्‍यारा कल देगे

मेरे ख्‍वा़बो में बस जा तू तेरे हम साथ चल देगे



खुली आँखो से देखे थे कभी हम सपनो जो तेरे

सनम तू आके बन जाना हकीकत सपनो के मेरे

तुझे छुअेगे  कभी काँटे हम काँटो को मसल देगे

मेरे ख्‍वाबो में बस जा तू तेरे हम…

Continue

Added by Akhand Gahmari on May 28, 2014 at 10:36am — 12 Comments

जिन्‍दगी में हमने जिनको वफा सिखाया था

2122      1222      1212   211

जिन्दगी भर जिसे हमने इश्क सिखाया था

बेवफा हम नहीं हमने उसे बताया था

दिल दुखाया नहीं हमने कभी न माने वो

आग में जल पड़े दुश्मन गले लगाया था

बात भी प्‍यार से वाे अब कभी नही करते

चाँदनी रात में जिसने कभी बुलाया था

हम मनाते रहे कसमे जिसे सभी देकर

मौत की नीद भी हमको वही सुलाया था

जल रहा…

Continue

Added by Akhand Gahmari on May 27, 2014 at 9:30pm — 6 Comments

प्रीति की रीत

2122 1221 2212

चोट खाते रहे मुस्‍कुराते रहे

प्‍यार के फूल हम तो खिलाते रहे

अब भरोसा नहीं जिन्‍दगी का हमे

दर्द सह कर उसे हम मनाते रहे

जिन्‍दगी प्‍यार उनको सिखाती रही

और वो जिन्‍दगी को भुलाते रहे

साथ वो चल दिये है किसी गैर के

प्रीत की रीत हम तो निभाते रहे

आज की रात हम मर न जाये कही

पास अपने उसे हम बुलाते रहे

बात जब है चली बेवफाई की तो

बेवफा कह हमे वह बुलाते रहे

बात उनकी करे ना करे हम मगर

याद मे उन की आँसू बहाते…

Continue

Added by Akhand Gahmari on May 18, 2014 at 9:22am — 20 Comments

अश्‍क

गजल अश्‍क

212   212     212    212

गीत उसके लिखे गुनगुनाता रहा

हाल दिल का सभी को बताता रहा

ये उदासी भरी जिन्‍दगी क्‍योंं मिली

सोच कर अश्‍क मैं तो  बहाता रहा

हम को उसके शहर में मिली मौत थी

लाश अपने शहर में जलाता रहा

चाँद में दाग है चाँदनी में नही

बात दिल को यही मैं बताता रहा

प्‍यार से चल सके ना कदम दो कदम

जाम पी पी तुझे तब भुलाता रहा 

मौलिक एवं अप्रकाशित…

Continue

Added by Akhand Gahmari on May 15, 2014 at 10:30am — 26 Comments

गजल रचना ----वो पल

प्‍यार तुमसे किया तुम निभा ना सके

दर्द दिल का कभी हम मिटा ना सके

जिन्‍दगी तो हमारी रही ना मगर

मौत से हाथ भी हम मिला ना सके

चाँद कह कह पुकारा हमे जो तुने

उन पलो को कभी हम भुला ना सके

ना किये वेवफाई कभी हम मगर

बात का हम भरोसा दिला ना सके

टूट कर बिखर तो हम गये हैं मगर

खा लिये हम जहर पर खिला ना सके

रात भर आइ सपनो में तुम तो मगर

बात अपनी तुझे हम बता ना सके

लौट आता सुहाना समय वो मगर

गीत भी प्‍यार के हम सुना ना सके

थक गये है…

Continue

Added by Akhand Gahmari on May 11, 2014 at 1:00pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service