212 2112 2112 222
प्यार में तुम मेरे ऐवों को दिखाया न करो|
आईना बन के कभी सामने आया न करो|
फ़ितनागर लोग ज़माने में बहुत देखें हैं,
हर किसी को कभी अब दोस्त बनाया न करो|
जाग उठाते हैं मेरे मन में सवालात कई,
हर किसी दर पे कभी सर को झुकाया न करो|
जिनकी ताबीर न मुमकिन हो कभी जीवन में,
ऐसे सपने कभी आँखों में सजाया न करो|
एक दिन देखना छिड़केंगे नमक ज़ख्मों पर,
ज़ख्म अपने कभी अपनों को दिखाया…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on May 30, 2016 at 10:30pm — 10 Comments
अरकान - 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2
पैसों का व्यापार हमारी दिल्ली में|
गुंडों की सरकार हमारी दिल्ली में|
साँप–सपोले जब से संसद जा पहुंचे ,
ज़हरों का व्यापार हमारी दिल्ली में|
लूट रहे है अस्मत मिलकर सब देखो,
हैं भारत माँ लाचार हमारी दिल्ली में|
जाति-धरम के नाम पे मिलती नौकरियाँ
हम जैसे बेकार हमारी दिल्ली में |
लालकिला, जंतर-मंतर सब रोते हैं,
अब गुल ना गुलज़ार हमारी दिल्ली…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on May 24, 2016 at 6:00pm — 7 Comments
अरकान - 2122 2122 2122 212
दिल लगाकर दिल चुराना कोई सीखे आपसे|
तौर ये सदियों पुराना कोई सीखे आपसे|
कल सुबह नज़रें मिली औ शाम को ही गुफ्तगू,
रात को सपनों में आना कोई सीखे आपसे|
आपकी मख्मूर आँखें गोया मय के जाम हैं,
ये अदाएँ कातिलाना कोई सीखे आपसे|
सैंकड़ो उल्फ़त में अबतक बन गए हैं आशना,
इश्क में पागल बनाना कोई सीखे आपसे|
पीठ पीछे प्यार का इकरार करते हैं मगर,
सामने…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on May 7, 2016 at 4:00pm — 2 Comments
अरकान – 1222 1222 1222 1222
कभी चाहत कभी हसरत कभी श्रृंगार है पैसा
कभी है फूल तो देखो कभी तलवार है पैसा |
जुदा माँ-बाप से कर दे लड़ाए भाई-भाई को,
बहाए खून का दरिया तो फिर बेकार है पैसा|
खुदा का शुक्र है घर में बरसती है सदा खुशियाँ,
कि रहते साथ सब मिलकर मेरा परिवार है पैसा|
इसे पाने की खातिर ही जहां में खोया है सब कुछ
मेरे आपस के सम्बन्धों में ये दीवार है पैसा…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on May 6, 2016 at 10:30pm — 3 Comments
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