हाँ वो मेरी बेटी है
जो बगल में लेटी है
मेरा प्यार है वो
जीवन की बहार है वो
हमारे प्यार की निशानी
एक अनकही कहानी
खिलखिलाहट उसकी
दीवाना करती है
जाएगी …
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 24, 2012 at 6:29pm — 28 Comments
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 12, 2012 at 1:30pm — 28 Comments
सूरज की गरमी को देखो, पड़ती सब पे भारी
सूखे ताल तलैया भाई, पिघली सड़कें सारी
सूख चली देखो हरियाली, सहमा उपवन सारा.
पंथिन को तो छांह नहीं अब, क्योंकर चलता…
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 7, 2012 at 12:30pm — 29 Comments
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