दिल मेरा तोड़ के इस तरह से जाने वाले।
बेवफ़ा तुझको पुकारेंगे ज़माने वाले॥
प्यार में खाईं थी क़समें भी किए थे वादे,
क्या तुझे याद है कुछ मुझको भुलाने वाले॥
झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,
उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥
सर झुकाये हुए कूचे से निकल जाते हैं,
हैं पशेमान बहुत मुझको सताने वाले॥
बाद मरने…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 22, 2012 at 9:30am — 16 Comments
लिख नहीं जो सकता तू सच ख़बर ज़माने की।
बोल क्या ज़रूरत है फिर क़लम उठाने की॥
छोड़ दे ये हसरत भी दिल कहीं लगाने की।
सह नहीं जो सकता तू ठोकरें ज़माने की॥…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 18, 2012 at 1:00pm — 13 Comments
उसने यारों मुझको पागल कर रखा है।
उसकी अदा ने दिल को घायल कर रखा है॥
अश्क़ों की बारिस को अब मैं रोकूँ कैसे,
आँखों को सावन का बादल कर रखा है॥
ख़ुद ही बढ़…
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 13, 2012 at 1:30pm — 8 Comments
दुश्मनों तुम सरहदों के पार मत देखा करो॥
आँख जल जाएगी ये अंगार मत देखा करो॥
ऐ मसीहा इस तरह बीमार मत देखा करो॥
आदमी में सिर्फ तुम आज़ार मत देखा करो॥…
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 6, 2012 at 12:00pm — 6 Comments
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