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Neeraj Nishchal's Blog – June 2016 Archive (2)

कविता/नीरज

तुम भावों की मधुर मधुर स्पन्दन सी ।

तुम तारों के झिलमिल झिलमिल आंगन सी ।

तुम तरुओं के खिलते नित नव पल्लव सी ।

तुम माँ की गोदी में शिशु के करलव सी ।



तुम मंदिर में देव को पूजा अर्पण सी ।

तुम पानी में चंद्रदेव के दर्पण सी ।

तुम प्रातः में विहगों के मधु गुंजन सी ।

तुम मृगया की मन हर लेती चितवन सी ।



तुम उपवन में मग्न मयूरी नर्तन सी ।

तुम प्रेमी के प्रमुदित प्रणय निवेदन सी ।

तुम रमणी की कोमल नव तरुणाई सी ।

तुम गर्मी की साँझ मंद पुरवाई… Continue

Added by Neeraj Nishchal on June 23, 2016 at 12:21am — 2 Comments

ग़जल/नीरज

2222  2222  2222  2222

दिन रात भरी तनहाई में इक उम्र गुज़ारी भी तो है ।

पाकर तुमको एहसास हुआ इक चीज हमारी भी तो है ।

हम बैठ तसव्वुर में तेरे बस ख्वाब नहीं देखा करते,

तेरी सूरत इन आँखों से इस दिल में उतारी भी तो है…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on June 17, 2016 at 10:00am — 12 Comments

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