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Rajesh kumari's Blog – June 2013 Archive (4)

उत्तराखंड की तबाही (आल्हा छंद पर आधारित )

ऐसी  प्रलय भयंकर आई ,होश मनुज  के दियो उड़ाय   

काल घनों पर उड़ के आया  ,घर के दीपक दियो बुझाय 

पिघली धरा मोम  के जैसे ,पर्वत शीशे से चटकाय 

ध्वस्त हुए सब मंदिर मस्जिद ,धर्म कहाँ कोई बतलाय 

बच्चे बूढ़े युवक युवतियां ,हुए जलमग्न कौन बचाय 

शिव शंकर  आकंठ डूबे  , चमत्कार नाही  दिखलाय 

केदारनाथ शिवालय भीतर,ढेर लाश के दियो लगाय 

मौत से लड़कर बच गए जो ,उनकी पीर कही ना जाय 

नागिन सी फुफकारें नदियाँ ,निर्झर  गए खूब पगलाय 

पर्वत हुए खून…

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Added by rajesh kumari on June 23, 2013 at 3:15pm — 33 Comments

मेरे द्वारा हल्द्वानी आयोजन में प्रस्तुत की हुई नज्म/गीत

जख्म कांटो से खायें  हैं हमें फूलों को सताना नहीं आता 

इश्क़े सफीने  बचाए हैं हमे तूफाँ में डुबाना नहीं आता 

 

तुम   बुजदिली कहलो या समझो शाइस्तगी मेरी  

 हुए सब अपने पराये हैं हमे  सच्चाई  छुपाना नहीं आता 

 

किसी ने दिल से निकाला ,  किसी ने राह में फेंका 

सर पे हमने बिठाए हैं हमे ठोकर से हटाना नहीं आता    

 

 कभी  ना  बेरुखी भायी   कभी ना नफरतें पाली 

दिलों में ही घर …

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Added by rajesh kumari on June 20, 2013 at 7:30pm — 18 Comments

एक आशु गीत (जो फेसबुक पर उपजा गीतकार आदरणीय सतीश सक्सेना जी और मेरे संवादों के बीच)

सुबह दरवाजे पे देखा

ढेरों फूल, हैं बिखरे 

कहीं से, रात को तूफ़ान 

लेकर साथ आया था 

मेरी ही याद उन्हें आई ;कुछ श्रद्धा रही होगी 

दरख्तों ने दिए आशीष कोई मर्जी रही…

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Added by rajesh kumari on June 8, 2013 at 11:58am — 20 Comments

वो खुदाया पास मेरे आ रही है (ग़ज़ल)

बहर --रमल मुसद्दस सालिम 

2122   2122   2122

 

उम्र जितनी तेज़ बढती जा रही है 

वो खुदाया पास मेरे आ  रही है 

 

राह में किस मोड़ पर हो जाए मिलना  

जिन्दगी ये सोचती सी  जा रही है 

 

क्या किसी तूफ़ान का संकेत है ये 

रेत  में बुलबुल नहा कर  जा रही है

 

जानते हैं  भाग्य अपना पीत  पत्ते

फ़स्ल देखो पतझड़ों की आ रही है  

 

खुल गयीं  हैं जुल्फ उसकी आज शायद 

वादियों…

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Added by rajesh kumari on June 5, 2013 at 3:30pm — 33 Comments

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