For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Coontee mukerji's Blog – June 2013 Archive (6)

कैलकुलेटर

कैलकुलेटर

‘’सुनती हो बेगम! सोने का दाम मार्केट में बहुत गिर गया है’’

‘’तो मैं क्या करूँ मियाँ?’’

‘’अजी बेगम जल्दी से तैयार हो जाओ ,मार्केट चलते हैं आज तुम्हें सोने से लाद दूँगा’’

‘’क्या.....?’’ राधा मुँह बाये हाथ में करछी पकड़े पति के पास आयी जो बरामदे में बैठा अखबार पढ़ रहा था.

‘’क्या कहा आपने? मुझे सोने से लादोगे? एक जोड़े कंगन के लिये तो सारी जिंदगी तरस गयी.’’ इतना कहकर राधा अपनी नाराज़गी जताती हुई दुबारा रसोईघर में चली गयी.

महिपाल पत्नी को मनाने के लिये उसके…

Continue

Added by coontee mukerji on June 30, 2013 at 9:24pm — 16 Comments

यह घर तूम्हारा है

यह घर तुम्हारा है

1

फूलों के हिंडोले में बैठ कर

घर आयी पिया की ,

तमाम खुशियों और सपनों को ,

झोली में भर कर .

दहलीज़ पर कदम रखते ही

मेरे श्रीचरणों की हुई पूजा

चूल्हे पर दूध उफ़न कर कहा –

‘’ बधाई हो ! लक्ष्मी का घर में आगमन हुआ है ‘’

सबने शुभ शकुन का स्वागत किया .

बड़े जनों ने कहा – ‘’ आज से यह घर तुम्हारा है .’’

कुछ दिनों बाद -

मेरी कल्पनाओं ने उड़ान भरनी चाही

सपनों ने अपने पंख फैलाये

तब –

उड़ने को मेरे पास आकाश…

Continue

Added by coontee mukerji on June 27, 2013 at 5:24pm — 19 Comments

मैं नदी

मैं नदी –

पहाड़ों से उतरी,

उन्मुक्त बहती

कल कल करती मतवाली

मैं नदी -

गाँव खलिहानों से होती

बच्चों की किलकारियों सी,

खेतों में ठुमकती

मैं नदी -

सरदी की धूप,

षोडसी की चोटी सम लम्बी

लहराती इठलाती बलखाती

मैं नदी जो कभी थी.

2

समय का बदलता रूप -

हाइटेक का ज़माना,

तरक्की की चरमसीमा,

बलिदान स्वरूपा

मैं नदी अधुना.

झुलसती गरमी

बीच शहर,

कूड़े का ढेर

अछूत सी पड़ी,

मैं नदी…

Continue

Added by coontee mukerji on June 22, 2013 at 3:05am — 15 Comments

आकाशदीप

आकाशदीप
‘’ आओ ! आओ ! मेरे पास आओ ! ! ‘’
हर शाम आकाश का निमंत्रण आता ,
उसे पाने का हर सम्भव प्रयास ,
साम दाम दण्ड भेद मैंने अपनाया .
मन की तृष्णा कहूँ या कमज़ोरी ,
सबने उन्नति कह स्वागत किया .
मेरे रास्ते में अनेक तारेपुंज थे ,
पर आजीवन एक ही लक्ष्य है साधा .
आकाशदीप पाने हेतु पथ में ,
कितने तारे टूटे कितने हुए धूल ,
आया भी हाथ में एक बुझा दीपक ,
लोभ में नष्ट हुआ जीवन समूल .
( मौलिक व अप्रकाशित रचना )

Added by coontee mukerji on June 10, 2013 at 11:13am — 1 Comment

दान का माहात्म्य

दान का माहात्म्य

मैं बचपन से अपनी माँ के साथ प्रवचन संकीर्तन में जाती थी . वहाँ दान की महिमा खूब गहराई से

समझायी जाती थी . मुझे ईश्वर भक्तों पर अपार श्रद्धा होती . बड़ी होकर जब मैं कमाने योग्य हुई तब अपने वेतन के पैसों का एक हिस्सा दान कर देती . बहुत जल्द ही मैं मशहूर हो गयी . आये दिन भक्तों का मेला मेरे घर में लगा रहता . उनकी सेवा कर मैं धन्य हो जाती .

मेरे गाँव में ISKCON ने भव्य मंदिर के साथ एक आश्रम बनाया . उसमें बहुत सारे भक्त रहने लगे . वहाँ दान की प्रक्रिया खूब चलती .…

Continue

Added by coontee mukerji on June 6, 2013 at 10:05pm — 8 Comments

ख्वाबों के दिन

ख्वाबों के दिन

ख्वाबों के दिन

कब मन को तड़पाते नहीं !

सुबह की पहली किरण

जब खिड़की पर थाप देती,

चिड़ियों की चहचहाहट से

जब खुलती हैं आँखें -

ज़िंदगी एक नयी करवट लेती हुई

बिस्तर की सलवटों पर

सिकुड़ी सिमटी सी , क्यों

तटस्थ हो जाती है ?

वक़्त का हर पल

एक सुनहरा ख्वाब दिखलाता है.

कुछ सपनों के दिन,

कुछ अधूरी रातें,

खुले नैनों के द्वार से

कहाँ दौड़े चले जाते है ?

एक कसमसाहट सी होती है -

अंगड़ाई…

Continue

Added by coontee mukerji on June 3, 2013 at 10:21pm — 11 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service